आयातित तेल का वर्गीकरण: सुप्रीम कोर्ट ने कस्टम विभाग के फैसले को पलटा
सुप्रीम कोर्ट ने आयातित तेल का वर्गीकरण हाई स्पीड डीजल (HSD) या बेस ऑयल के रूप में करने के मामले में कस्टम अधिकारियों के फैसले को पलट दिया। जानें, क्यों माना गया कि परीक्षण रिपोर्ट्स निर्णायक नहीं थीं।
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मामले का संक्षिप्त विवरण
सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च, 2025 को Civil Appeal No. ______ of 2025 में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें आयातित तेल के वर्गीकरण को लेकर कस्टम विभाग और आयातकर्ताओं के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद का निपटारा किया गया। यह मामला GASTRADE INTERNATIONAL बनाम COMMISSIONER OF CUSTOMS, KANDLA और अन्य से संबंधित है, जहां आयातकर्ताओं ने तेल को “बेस ऑयल” बताते हुए चैप्टर हैडिंग 27101960 के तहत क्लियरेंस मांगा, जबकि कस्टम अधिकारियों ने इसे “हाई स्पीड डीजल (HSD)” मानते हुए जब्त कर लिया।
मुख्य बिंदु: क्यों विवादित था तेल?
कस्टम विभाग का दावा:
HSD के रूप में वर्गीकृत करने के लिए IS 1460:2005 के 21 पैरामीटर्स में से केवल 14 का परीक्षण किया गया।
तीन प्रयोगशालाओं (वड़ोदरा, CRCL नई दिल्ली, और IOCL मुंबई) ने नमूनों को HSD बताया, लेकिन सभी पैरामीटर्स पूरे नहीं हुए।
आयातकर्ताओं का तर्क:
फ्लैश पॉइंट (93°C से अधिक) HSD के मानकों से मेल नहीं खाता।
सीईएसटीएटी ने पहले फैसले को पलटते हुए कहा कि अधूरे टेस्ट के आधार पर HSD नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
न्यायमूर्ति नोंगमेइकापम कोटिस्वर सिंह और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने कहा कि “अधूरे परीक्षणों के आधार पर तेल को HSD नहीं माना जा सकता।”
कोर्ट ने “सबसे समान” (Most Akin) के सिद्धांत को लागू करते हुए कहा कि तेल HSD से अधिक बेस ऑयल के करीब है।
परिणाम: कस्टम विभाग के जब्त आदेश और जुर्माना रद्द, आयातकर्ताओं को तेल री-एक्सपोर्ट की अनुमति।
Author Profile
SHRUTI MISHRA
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