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इलाहाबाद हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट की एकल पीठ के न्यायाधीश क्षितिज शैलेन्द्र ने सुनाया फैसला
अपीलकर्ता:- पंजाब नेशनल बैंक
प्रतिवादी:- मैसर्स एलन एंड अल्वान प्राइवेट लिमिटेड और अन्य
अपीलकर्ता के वकील:- अशोक भटनागर
प्रतिवादी के वकील:- इशिर श्रीपत
तर्क दीया इस मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा खारिज किए गए दो मूल मुकदमों की अपीलीय समीक्षा शामिल है, जिसने निष्कर्ष निकाला कि वादी के दावों में योग्यता की कमी है। प्रथम अपीलीय अदालत ने लिखावट की तुलना और चेक प्रसंस्करण में कथित लापरवाही के आधार पर वादी के दावे को स्वीकार करते हुए इस फैसले को पलट दिया था। हालाँकि, उच्च न्यायालय ने अपीलीय अदालत के फैसले में पर्याप्त त्रुटियाँ पाईं, जिसमें प्रक्रियात्मक खामियों और साक्ष्यों के गलत मूल्यांकन पर जोर दिया गया।
मुख्य निष्कर्षों में शामिल हैं
चेक और हस्ताक्षर: अपीलीय अदालत ने हस्ताक्षर की प्रामाणिकता की अपनी व्याख्या और अपीलकर्ता-बैंक द्वारा कथित लापरवाही पर गलत भरोसा किया। उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि ये निष्कर्ष टिकाऊ नहीं थे।
प्रक्रियात्मक त्रुटियाँ
अपीलीय अदालत का निर्णय सीपीसी के आदेश 2 नियम 2 के तहत रोक को संबोधित करने में विफल रहा और अनुचित तरीके से ब्याज दिया गया, जिसे अनुचित माना गया क्योंकि दावे समर्थन योग्य नहीं थे।
अंतिम निर्णय
उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट द्वारा मुकदमों को खारिज करने को बरकरार रखा और अपीलीय अदालत के फैसले को पलट दिया। इसने पंजाब नेशनल बैंक को अर्जित ब्याज के साथ किसी भी जमा राशि को वापस करने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय का फैसला कठोर साक्ष्य मूल्यांकन और अपीलीय निर्णयों में प्रक्रियात्मक कानून के पालन की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।