2025 में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय संपत्ति विवाद और सीमा अधिनियम पर नई रोशनी डालता है। जानें केस की पूरी कहानी, न्यायिक प्रक्रिया और इसके प्रभाव।

DHFL इन्सॉल्वेंसी केस में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: जानें क्या मिला पिरामल कैपिटल और FD होल्डर्स को?

सुप्रीम कोर्ट ने DHFL इन्सॉल्वेंसी केस में अहम फैसला सुनाया। जानें कैसे पिरामल कैपिटल का रिज़ॉल्यूशन प्लान मंजूर हुआ और FD होल्डर्स के अधिकारों पर क्या रहा असर।

  • Home
  • »
  • Supreme Court
  • »
  • news
  • »
  • DHFL इन्सॉल्वेंसी केस में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: जानें क्या मिला पिरामल कैपिटल और FD होल्डर्स को?

DHFL इन्सॉल्वेंसी केस: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की पूरी कहानी


1. केस की पृष्ठभूमि

DHFL (देवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड) भारत की प्रमुख हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में से एक थी, जिसने 2019 में वित्तीय संकट के चलते इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया शुरू की। RBI ने कंपनी के बोर्ड को भंग करते हुए एक एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया। इसके बाद, पिरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड ने 37,250 करोड़ रुपये के रिज़ॉल्यूशन प्लान के साथ DHFL का अधिग्रहण किया।

  • मुख्य मुद्दे:

    • Avoidance Applications (धोखाधड़ी वाले लेन-देन की वसूली)

    • FD होल्डर्स को पूर्ण भुगतान न मिलना

    • पूर्व प्रमोटर्स कपिल और धीरज वाधवन की भूमिका


2. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु

1 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने DHFL इन्सॉल्वेंसी केस में अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाया:

  • रिज़ॉल्यूशन प्लान को मंजूरी: कोर्ट ने पिरामल कैपिटल के प्लान को वैध ठहराया, जिसमें Avoidance Applications से होने वाली वसूली का अधिकार पिरामल को दिया गया।

  • FD होल्डर्स को राहत नहीं: 2 लाख रुपये से अधिक के FD होल्डर्स को लिक्विडेशन वैल्यू के आधार पर भुगतान मंजूर किया गया।

  • पूर्व प्रमोटर्स के दावे खारिज: कोर्ट ने कपिल वाधवन और धीरज वाधवन के हस्तक्षेप को अमान्य कर दिया।


3. Avoidance Applications पर क्या रहा निर्णय?

Avoidance Applications वे दावे हैं जिनमें धोखाधड़ी या अवैध लेन-देन की वसूली की माँग की जाती है। DHFL केस में, 45,050 करोड़ रुपये के ऐसे दावे थे।

  • सुप्रीम कोर्ट का स्टैंड:

    • सेक्शन 66 (धोखाधड़ी लेन-देन) के तहत वसूली का अधिकार पिरामल कैपिटल को दिया गया।

    • सेक्शन 43, 45, 47, 49, और 50 के तहत वसूली क्रेडिटर्स (CoC) को मिलेगी।

  • NCLAT के फैसले को पलटा: पहले NCLAT ने इन वसूलियों को CoC के पास भेजने का आदेश दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया।


4. FD होल्डर्स के अधिकार और चिंताएँ

FD होल्डर्स ने RBI एक्ट और NHB एक्ट के तहत पूर्ण भुगतान की माँग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

  • FD होल्डर्स को मिलेगा क्या?

    • 2 लाख तक के FD: पूरी रकम।

    • 2 लाख से अधिक: लिक्विडेशन वैल्यू के आधार पर आंशिक भुगतान।

  • कोर्ट का तर्क: “CoC का वाणिज्यिक निर्णय अंतिम है। FD होल्डर्स को RBI/NHB एक्ट के तहत पूर्ण भुगतान का कोई कानूनी अधिकार नहीं।”


5. पूर्व प्रमोटर्स की भूमिका और दावे

कपिल वाधवन और धीरज वाधवन ने CoC मीटिंग्स में शामिल होने और रिज़ॉल्यूशन प्लान की कॉपी माँगी थी, लेकिन कोर्ट ने इन्हें खारिज कर दिया।

  • मुख्य आपत्तियाँ:

    • RBI द्वारा बोर्ड भंग होने के बाद पूर्व प्रमोटर्स का कोई अधिकार नहीं।

    • धोखाधड़ी के आरोपों के चलते उनकी भूमिका संदिग्ध।


6. निर्णय का बाजार और निवेशकों पर प्रभाव

  • पिरामल कैपिटल के लिए जीत: कंपनी को DHFL के रिटेल लोन पोर्टफोलियो पर पूर्ण नियंत्रण मिल गया।

  • निवेशकों को संदेश: इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया में CoC के निर्णयों को अदालतें कम ही बदलती हैं।

  • FD होल्डर्स के लिए सबक: उच्च रिटर्न वाले FD में निवेश से पहले कंपनी की वित्तीय सेहत जाँचें।


7. आगे की राह: क्या होगा अगला कदम?

  • Avoidance Applications की सुनवाई: NCLT अब इन मामलों को प्राथमिकता देगा।

  • पिरामल की जिम्मेदारी: सेक्शन 66 के तहत वसूली की कार्रवाई तेज करनी होगी।

  • FD होल्डर्स की अपील: कुछ निवेशक उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।


निष्कर्ष

DHFL इन्सॉल्वेंसी केस में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने भारतीय इन्सॉल्वेंसी कानून (IBC) में CoC की “वाणिज्यिक समझ” को मजबूती दी है। साथ ही, यह निर्णय बताता है कि वित्तीय संकट के समय निवेशकों को अपने जोखिमों को समझना चाहिए। पिरामल कैपिटल के लिए यह एक बड़ी जीत है, लेकिन FD होल्डर्स के लिए यह सीख है कि उच्च रिटर्न के चक्कर में वित्तीय सुरक्षा को नज़रअंदाज़ न करें।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *