mata evam pita ke divorce ke case mein pita evam mata ke adhikaaro ki samiksha ki

supreme court of india सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सुगीर्था बनाम गौतम

पृष्ठभूमि:
सुगीर्था और गौतम का विवाह 9 सितंबर 2021 को हुआ था। उनकी एक बेटी का जन्म 6 जून 2022 को हुआ। इसके बाद, जून 2023 में सुगीर्था ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(ia) के तहत तलाक की याचिका दाखिल की।

सुगीर्था ने अपने पति पर घरेलू हिंसा, उन्हें और उनकी बेटी को मारने की कोशिश, और बच्चे के साथ अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि दोनों 18 अगस्त 2022 से अलग रह रहे हैं।

इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने गौतम को उनकी बेटी से मिलने के लिए अंतरिम मुलाकात के अधिकार दिए थे, जिसे सुगीर्था ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।


सुप्रीम कोर्ट का आदेश:

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों के तर्क सुने और बच्ची के हित को सर्वोपरि मानते हुए निम्नलिखित निर्देश जारी किए:

  1. पिता का मुलाकात का अधिकार:

    • गौतम (पिता) को अपनी बेटी से हर रविवार सुबह 10:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक मिलने का अधिकार दिया गया।
  2. मुलाकात का स्थान:

    • मुलाकात मदुरै के किसी सार्वजनिक पार्क या मंदिर परिसर में होगी।
    • मुलाकात के दौरान मां (सुगीर्था) भी मौजूद रहेंगी लेकिन वे लगभग 10 फीट की दूरी बनाए रखेंगी।
  3. बच्चे को सौंपने की प्रक्रिया:

    • हर रविवार सुबह 10:00 बजे बच्ची को मुलाकात के स्थान पर पिता को सौंपा जाएगा और दोपहर 2:00 बजे मां को वापस किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले में आंशिक बदलाव किया। यह फैसला बच्चे की कम उम्र और उसके सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए दिया गया।

सभी लंबित याचिकाओं को भी निस्तारित कर दिया गया।


महत्व:

यह फैसला माता-पिता के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है, जिसमें बच्चे के हितों और सुरक्षा को सर्वोपरि रखा गया है।