जीएसटी परिषद की सिफारिशें Recommendations of the 55th Meeting of the GST Council
जीएसटी परिषद की सिफारिशें: कर दरों में बदलाव, व्यापार में सहूलियत और अनुपालन में सुधार के अहम फैसले
जीएसटी (माल और सेवा कर) परिषद की हालिया बैठक में कर दरों में बदलाव, व्यापार में सहूलियत और अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई अहम सिफारिशें की गई हैं। इन सिफारिशों का उद्देश्य कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। बैठक में वस्तुओं और सेवाओं पर कर दरों में परिवर्तन, व्यापारिक प्रक्रियाओं में सुधार और कानून में संशोधन जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लिए गए।
कर दरों में बदलाव
जीएसटी परिषद ने विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर कर दरों में बदलाव की सिफारिश की। इसके तहत निम्नलिखित घोषणाएं की गईं:
- फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (HSN 1904): इन पर जीएसटी दर को 18% से घटाकर 5% कर दिया गया। यह फैसला कुपोषण को कम करने और गरीबों को सस्ता पोषण उपलब्ध कराने के लिए लिया गया है।
- जीन थेरेपी: इस अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धति पर पूरी तरह से जीएसटी छूट दी गई है।
- एलआरएसएएम सिस्टम निर्माण के उपकरण: एलआरएसएएम (लॉन्ग रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल) सिस्टम के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों और सामग्री पर आईजीएसटी छूट दी गई है।
- गरीबों के लिए मुफ्त भोजन वितरण: सरकारी कार्यक्रमों के तहत मुफ्त भोजन वितरण के लिए खाद्य सामग्री पर 5% रियायती जीएसटी दर लागू की गई है।
- पुराने और इस्तेमाल किए गए वाहन: पुराने और इस्तेमाल किए गए वाहनों पर जीएसटी दर 12% से बढ़ाकर 18% कर दी गई है। यह वृद्धि केवल उन वाहनों पर लागू होगी, जिनका मूल्यांकन बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य के अंतर पर आधारित होगा।
- स्पॉन्सरशिप सेवाएं: कॉर्पोरेट निकायों द्वारा दी जाने वाली स्पॉन्सरशिप सेवाओं को फॉरवर्ड चार्ज मैकेनिज्म के तहत लाया गया है।
व्यापार के लिए सहूलियत
जीएसटी परिषद ने व्यापार प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) और फ्री ट्रेड वेयरहाउसिंग जोन (FTWZ): इन क्षेत्रों में रखे गए माल की आपूर्ति को ‘न तो वस्तु की सप्लाई और न ही सेवा की सप्लाई’ माना जाएगा। यह फैसला व्यापारिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।
- वाउचर्स की कर योग्यता: वाउचर्स से जुड़े लंबे समय से चले आ रहे विवादों को खत्म करने के लिए स्पष्ट किया गया है कि वाउचर्स को वस्तु या सेवा की सप्लाई नहीं माना जाएगा। वाउचर्स से जुड़ी सेवाओं, जैसे विज्ञापन और मार्केटिंग, पर जीएसटी लागू होगा।
- वार्षिक रिटर्न दाखिल करने में विलंब शुल्क: 2017-18 से 2022-23 तक के वित्तीय वर्षों के लिए वार्षिक रिटर्न (FORM GSTR-9C) दाखिल करने में देरी पर लगने वाले विलंब शुल्क को माफ कर दिया गया है।
अनुपालन प्रक्रिया में सुधार
जीएसटी परिषद ने अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए कई उपाय सुझाए हैं।
- ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म: टैक्स चोरी रोकने के लिए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम को लागू करने का फैसला किया गया है। इसके तहत विशिष्ट पहचान मार्किंग का उपयोग किया जाएगा, जिससे माल की पूरी आपूर्ति श्रृंखला पर नजर रखी जा सकेगी।
- ऑनलाइन सेवाओं के लिए सही जानकारी दर्ज करना: ऑनलाइन सेवाओं जैसे ऑनलाइन गेमिंग और ओआईडीएआर सेवाओं की आपूर्ति के लिए अनिवार्य किया गया है कि ग्राहकों का राज्य नाम और स्थान सही-सही दर्ज किया जाए।
- इन्वॉयस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS): इन्वॉयस प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए नए नियम लागू किए गए हैं। इसके तहत, FORM GSTR-3B केवल तभी फाइल किया जा सकेगा, जब संबंधित महीने का FORM GSTR-2B पोर्टल पर उपलब्ध हो।
कानून और प्रक्रियाओं में अन्य सुधार
जीएसटी परिषद ने कानूनी और प्रक्रियात्मक सुधारों के लिए भी कुछ अहम कदम उठाए हैं।
- सेक्शन 17(5)(d) में संशोधन: “प्लांट या मशीनरी” को “प्लांट और मशीनरी” के रूप में परिभाषित किया गया है। यह संशोधन 1 जुलाई 2017 से प्रभावी होगा।
- सेक्शन 107 और 112 में संशोधन: केवल पेनाल्टी से जुड़े मामलों में अपील के लिए प्री-डिपॉजिट राशि को 25% से घटाकर 10% कर दिया गया है।
- इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) मैकेनिज्म: ISD प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए अंतर-राज्यीय रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म को इसमें शामिल किया गया है।
- अस्थायी पहचान संख्या: उन लोगों के लिए अस्थायी पहचान संख्या की सुविधा दी गई है, जो जीएसटी के तहत पंजीकरण के योग्य नहीं हैं, लेकिन भुगतान करने की आवश्यकता है।
राज्यों से जुड़े मुद्दे
परिषद ने राज्यों के मुद्दों को हल करने के लिए भी कई सिफारिशें की हैं:
- आईजीएसटी निपटान: आईजीएसटी निपटान से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए एक समिति गठित की गई है।
- प्राकृतिक आपदाओं पर कर नीति: आंध्र प्रदेश सरकार के अनुरोध पर, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कर लगाने की एक समान नीति बनाने के लिए एक समूह गठित किया गया है।
- एफएसआई शुल्क: नगर पालिकाओं द्वारा एफएसआई (फ्लोर स्पेस इंडेक्स) शुल्क पर जीएसटी की योग्यता को लेकर मामला अभी लंबित है।
अन्य सिफारिशें
- पेमेंट एग्रीगेटर्स: आरबीआई द्वारा विनियमित पेमेंट एग्रीगेटर्स को अधिनियम के तहत छूट दी गई है।
- दुर्घटना निधि में योगदान: सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए मोटर वाहन दुर्घटना निधि में योगदान पर जीएसटी छूट दी गई है।
- पॉपकॉर्न और अन्य खाद्य पदार्थों पर स्पष्टीकरण: प्री-पैकेज्ड और लेबल्ड पॉपकॉर्न पर 12% और बिना लेबल्ड पॉपकॉर्न पर 5% जीएसटी लागू होगा।
जीएसटी परिषद की ये सिफारिशें देश में कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी, प्रभावी और व्यापार-अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इन सिफारिशों के लागू होने से करदाताओं को राहत मिलेगी, व्यापारियों के लिए प्रक्रियाएं आसान होंगी, और राज्यों की चिंताओं को दूर किया जा सकेगा। जीएसटी परिषद का यह कदम कर प्रणाली के समग्र सुधार में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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