Bail ki condition in high court
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: फ्रैंक विटस बनाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो संदर्भ: 2024 INSC 479 (8 जुलाई 2024) पीठ: न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भूयान मामले में प्रमुख मुद्दे: निजता का अधिकार और जमानत की शर्तें: क्या आरोपी को अपनी वास्तविक समय की लोकेशन (Google Maps के माध्यम से) जांच अधिकारी के साथ साझा…
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सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: फ्रैंक विटस बनाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
संदर्भ: 2024 INSC 479 (8 जुलाई 2024)
पीठ: न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भूयान
मामले में प्रमुख मुद्दे:
निजता का अधिकार और जमानत की शर्तें:
क्या आरोपी को अपनी वास्तविक समय की लोकेशन (Google Maps के माध्यम से) जांच अधिकारी के साथ साझा करने की शर्त, जमानत प्रदान करने के लिए, निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है?विदेशी नागरिकों के लिए जमानत की शर्तें:
क्या किसी विदेशी नागरिक को अपने उच्चायोग/दूतावास से “आश्वासन प्रमाणपत्र” लाने की शर्त, जो अदालत में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करे, जमानत के लिए वैध शर्त है?
मामले की पृष्ठभूमि:
अपीलकर्ता फ्रैंक विटस, जो एक नाइजीरियाई नागरिक हैं, पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटांसेज एक्ट, 1985 (NDPS Act) की धारा 8, 22, 23 और 29 के तहत मादक पदार्थों के उत्पादन, बिक्री और तस्करी से संबंधित अपराधों का आरोप है।
जमानत की शर्तों के तहत:
- ट्रायल कोर्ट ने आरोपी से Google Maps के माध्यम से अपनी वास्तविक समय की लोकेशन जांच अधिकारी के साथ साझा करने की मांग की।
- अपीलकर्ता, जो विदेशी नागरिक हैं, से अपने देश के नाइजीरियाई उच्चायोग से “आश्वासन प्रमाणपत्र” लाने को कहा गया, जो भारत में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करे।
अपीलकर्ता ने इन शर्तों को चुनौती दी, यह दावा करते हुए कि यह उनके अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है और अत्यधिक है।
कोर्ट का निर्णय:
मुद्दा 1: निजता का अधिकार और वास्तविक समय लोकेशन साझा करना
- कोर्ट ने माना कि निजता का अधिकार (अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार) और राज्य के हित के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
- वास्तविक समय की लोकेशन साझा करना अत्यधिक हस्तक्षेपकारी और अनुपातहीन पाया गया, खासकर जब इसके विकल्प (जैसे कि समय-समय पर रिपोर्टिंग या GPS टैगिंग) उपलब्ध थे।
- कोर्ट ने कहा कि Google Maps के माध्यम से लोकेशन साझा करने की शर्त, निजता के अधिकार का अनुचित उल्लंघन है और इसे जमानत की शर्त के रूप में लागू नहीं किया जा सकता।
मुद्दा 2: विदेशी नागरिकों के लिए आश्वासन प्रमाणपत्र
- कोर्ट ने माना कि विदेशी नागरिकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जमानत शर्तें कड़ी हो सकती हैं, लेकिन उच्चायोग/दूतावास से आश्वासन प्रमाणपत्र मांगना, अत्यधिक और कानूनन आधारहीन है।
- अदालत ने निर्देश दिया कि पासपोर्ट जब्त करने या सुरक्षा बॉन्ड जैसी वैकल्पिक विधियों का उपयोग किया जा सकता है, जो समान उद्देश्य को बिना अनुचित बोझ के पूरा कर सकते हैं।
निर्णय और निर्देश:
- सुप्रीम कोर्ट ने Google Maps के माध्यम से वास्तविक समय लोकेशन साझा करने की शर्त को अनुपातहीन और निजता का उल्लंघन मानते हुए रद्द कर दिया।
- कोर्ट ने उच्चायोग से “आश्वासन प्रमाणपत्र” की आवश्यकता को भी अवैध घोषित किया और ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि विदेशी नागरिकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए अन्य वैध उपाय अपनाए जाएं।
- कोर्ट ने जोर दिया कि गंभीर अपराधों (जैसे मादक पदार्थों के मामलों) में जमानत की शर्तें सख्त हो सकती हैं, लेकिन वे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकतीं।
निर्णय का महत्व:
यह निर्णय निजता के अधिकार को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हुए, इसे गंभीर अपराधों के मामलों में भी बनाए रखने पर जोर देता है। यह विदेशी नागरिकों के प्रति उचित व्यवहार और उनके मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी एक मिसाल स्थापित करता है।
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SHRUTI MISHRA
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