supreme court of india

बैंक को घाटा हुआ है जो की लगभग 6.13 करोड़

बैंक को घाटा हुआ है जो की लगभग 6.13 करोड़. employee ne karwaya bada ghata

भारत का उच्चतम न्यायालय में एक याचिका का निपटारा किया गया जो की अपराध अपील न्यायालय से सम्बंधित याचिका दायर की गयी
अपराध अपील संख्या ___ 2024 (विशेष छूट याचिका (क्र.) संख्या 10078 2023)
अनिल भवरलाल जैन और अन्य … अपीलार्थी
बनाम
महाराष्ट्र राज्य और अन्य … प्रतिवादी के साथ
अपराध अपील संख्या ___ 2024
(विशेष छूट याचिका (क्र.) संख्या 12776 2023)

याचिका अनिल भवरलाल जैन और अन्य अपीलार्थी से संबंधित है, जो कि एम/एस सन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं , एवं एक बैंक के कर्मचारी खिलाफ फैसला । उन्होंने महाराष्ट्र राज्य और अन्य के खिलाफ याचिका दायर की है, जिसमें बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा उनके द्वारा दायर रिट याचिकाओं को खारिज करने के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिकाओं में भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों के लिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। ये याचिका न्यायमूर्ति विक्रम नाथ एवं न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की बेंच ने हाई कोर्ट के आदेश को ख़ारिज करने से इंकार कर दिया उच्च न्यायालय के आदेश में सभी तथ्यों पर उचित महत्व दिया गया है। एक गंभीर आर्थिक अपराध या इसके लिए कहने के लिए अपराध जो संस्थानों के वित्तीय हालत गंभी रूप से ख़राब करने की संभावना रखता है, उसको यह कहते हुए नहीं है अपराध की गंभीरता को देखता हुआ रद्द किया जाना चाहिए कि मुकदमे में देरी है या अन्य कोइ तकनिकी त्रुटि सिद्धांत पर खारिज नहीं की जनि चाहिए। जब मामला निपट गया है तो इसे रद्द कर देना चाहिए ताकि प्रणाली पर सीधा हमला न हो। यह कभी भी एक स्वीकार्य सिद्धांत या पैरामीटर नहीं हो सकता, क्योंकि इसका अर्थ होगा कानून और व्यवस्था ख़राब होगा। बेईमान मुकदमेबाजी को हथियार की तरह न प्रयोग कर सके ।”
वर्तमान मामले में, यह दस्तावेजों में माना है डीआरटी के समक्ष पार्टियों द्वारा शर्तें प्रस्तुत की गईं है । यह दोनों पार्टी ने माना कि बैंक को घाटा हुआ है जो की लगभग 6.13 करोड़. जिस से सरकारी खजाने को भारी क्षति पहुंची और फलस्वरूप यह कहा जा सकता है कि जनहित है बाधा पहुंचाई गई. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वर्तमान मामले में एक विशेष क़ानून यानी पीसी एक्ट है किसी भी नियम के अधिनियम से पारे हटके केवल विशेष परिस्तिथि में ही हाई कोर्ट्स या ट्रिब्यूनल्स के द्वारा की जाये। इस प्रकार उच्च न्यायालय ने विवेक के अनुसार उचित निर्णय लिया है की appelants के द्वारा बैंक्स को बड़ी क्षति पहुंचाई जो की क्षमा योग्य नहीं है इस आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी। और बेंच ने कहा ऊपर बताए गए कारणों से हम एकमत हैं कि उच्च न्यायालय द्वारा अपना कार्य न करना उचित था सीआरपीसी की धारा 482 के तहत क्षेत्राधिकार। अपीलें हैं तदनुसार खारिज कर दिया गया।

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