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डार्क नेट ड्रग केस में श्रद्धा सुराना को दिल्ली HC ने जमानत दी, कहा- “बिना सबूत के 3 साल जेल अन्याय”

अदालत: दिल्ली उच्च न्यायालयन्यायाधीश: माननीय न्यायमूर्ति अमित महाजन मेटा डेटा याचिकाकर्ता: श्रद्धा सुराना प्रतिवादी: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) कानूनी धाराएँ: NDPS अधिनियम की धारा 8(c)/20/22/29 जमानत शर्त: ₹50,000 का पर्सनल बॉन्ड + दो जमानती मामले का सारांश दिल्ली उच्च न्यायालय ने डार्क नेट और टेलीग्राम के जरिए अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी के आरोप में 2 साल 8 महीने से जेल में बंद श्रद्धा सुराना को जमानत दे दी।…

अदालत: दिल्ली उच्च न्यायालय
न्यायाधीश: माननीय न्यायमूर्ति अमित महाजन


मेटा डेटा

  • याचिकाकर्ता: श्रद्धा सुराना

  • प्रतिवादी: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)

  • कानूनी धाराएँ: NDPS अधिनियम की धारा 8(c)/20/22/29

  • जमानत शर्त: ₹50,000 का पर्सनल बॉन्ड + दो जमानती


मामले का सारांश

दिल्ली उच्च न्यायालय ने डार्क नेट और टेलीग्राम के जरिए अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी के आरोप में 2 साल 8 महीने से जेल में बंद श्रद्धा सुराना को जमानत दे दी। न्यायालय ने फैसले में “स्पीडी ट्रायल के अधिकार” (अनुच्छेद 21) और “बिना सबूत लंबी जेल यात्रा” को संविधान का उल्लंघन बताया।


प्रमुख बिंदे:

  1. आरोप:

    • श्रद्धा पर 2021 में NCB के मुताबिक, डार्क नेट के जरिए विदेशों से गांजा, एमडीएमए, एलएसडी जैसे मादक पदार्थ मंगवाकर दिल्ली-एनसीआर में बेचने का आरोप।

    • 5 अन्य आरोपियों (जसबीर सिंह, राहुल मिश्रा, देवेश वासा आदि) से कुल 4.5 किलो गांजा, 284 ग्राम एमडीएमए, 5.6 ग्राम एलएसडी बरामद।

  2. प्रॉसिक्यूशन का दावा:

    • श्रद्धा के बैंक अकाउंट और कजिन के अकाउंट से ₹6 लाख का लेनदेन।

    • धारा 67 NDPS के तहत दिए गए बयानों में श्रद्धा ने “टेलीग्राम ग्रुप” और “ओरिएंट एक्सप्रेस” नेटवर्क की भूमिका स्वीकारी।

  3. बचाव पक्ष के तर्क:

    • “NCB के पास श्रद्धा से कोई सीधा रिकवरी नहीं।”

    • “धारा 67 का बयान सबूत नहीं” – सुप्रीम कोर्ट के तोफान सिंह बनाम तमिलनाडु (2021) के फैसले का हवाला।

    • “3 साल की जेल, पर ट्रायल शुरू भी नहीं।”


न्यायालय का विश्लेषण:

  1. सबूतों की कमी:

    • “सह-आरोपियों के बयान बिना पुष्टि के नहीं चलेंगे।”

    • “NCB के पास श्रद्धा के खिलाफ वित्तीय लेनदेन या डार्क नेट एक्टिविटी का कोई ठोस सबूत नहीं।”

  2. स्पीडी ट्रायल का उल्लंघन:

    • “जेल की भीषण स्थितियाँ और ट्रायल में देरी न्याय के विरुद्ध।”

    • “NDPS धारा 37 का प्रतिबंध भी संवैधानिक अधिकारों से ऊपर नहीं।” – सुप्रीम कोर्ट के मोहम्मद मुस्लिम (2023) फैसले का संदर्भ।

  3. अन्य आरोपियों को जमानत:

    • जसबीर सिंह, राहुल मिश्रा समेत 9 अन्य आरोपी पहले ही जमानत पर बाहर।


जमानत की शर्तें:

  1. दिल्ली की सीमा छोड़ने पर कोर्ट की अनुमति अनिवार्य।

  2. मोबाइल नंबर NCB को देना और हर समय फोन चालू रखना।

  3. ट्रायल कोर्ट में हर तारीख पर हाजिरी


विशेष टिप्पणी:

  • न्यायमूर्ति अमित महाजन:
    “कानून की कठोरता और सामाजिक हित महत्वपूर्ण हैं, पर न्यायालय को नागरिक अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। 3 साल की जेल बिना ट्रायल शुरू किए न्यायोचित नहीं।”


प्रतिक्रियाएँ:

  • NCB के वकील: “यह फैसला ड्रग तस्करी के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करेगा। हम सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।”

  • श्रद्धा के वकील पवन नरंग: “न्यायालय ने संविधान के मूल्यों को प्राथमिकता दी। हम ट्रायल में सहयोग करेंगे।”


आगे की कार्रवाई:

  • NCB अब चार्जशीट के आधार पर ट्रायल शुरू करने पर जोर देगी।

  • श्रद्धा पर दूसरे केस (कलकत्ता और गुरुग्राम) में भी आरोप, जहाँ जमानत याचिकाएँ लंबित।


रिपोर्ट: न्यायिक दस्तावेज़ों एवं कोर्ट प्रोसीडिंग्स के आधार पर
स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश (BAIL APPLN. 2397/2023)


(यह खबर अदालती दस्तावेज़ों पर आधारित है। किसी भी त्रुटि की सूचना हमें तुरंत दें।)

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