सावधान हो जाएं: कहीं आपका वोटर आईडी डिलीट न हो जाए! निर्वाचन आयोग की चेतावनी – अपने वोटर आईडी की सुरक्षा के लिए तुरंत कार्रवाई करें!
आधार और वोटर आईडी लिंक करने की अंतिम तिथि, ऑनलाइन प्रक्रिया, लाभ और डेटा सुरक्षा से जुड़े सवालों के जवाब यहाँ पढ़ें।
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आधार-वोटर आईडी लिंकिंग: चुनावी पारदर्शिता या निजता का खतरा? जानें पूरी जानकारी
नई दिल्ली, 15 अगस्त 2025: भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने देशभर में आधार और वोटर आईडी को लिंक करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। इसका उद्देश्य फर्जी मतदाताओं पर अंकुश लगाना और चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है। हालाँकि, इस कदम को लेकर डेटा गोपनीयता को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। आइए समझते हैं कि यह प्रक्रिया आम नागरिकों को कैसे प्रभावित करेगी।
क्यों जरूरी है आधार-वोटर आईडी लिंकिंग?
फर्जी वोटर आईडी पर रोक: ईसीआई के अनुसार, अब तक 2.8 करोड़ फर्जी वोटर आईडी हटाई जा चुकी हैं। लिंकिंग से डुप्लीकेट एंट्रीज को आसानी से पहचाना जा सकेगा।
मतदाता सूची का सटीकीकरण: एक व्यक्ति-एक वोट सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक डेटा का उपयोग।
घर बैठे सुविधा: लिंक होने पर मतदाता सूची में बदलाव, नया वोटर आईडी या कोरिजन का अलर्ट SMS/ईमेल से मिलेगा।
आधार वोटर आईडी लिंकिंग, चुनाव आयोग नियम, ऑनलाइन लिंक कैसे करें, डेटा प्राइवेसी, फर्जी मतदान रोकथाम
कानूनी आधार
चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 के तहत आधार लिंकिंग को वैध बनाया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में आधार-पैन लिंकिंग को वैध ठहराया, लेकिन वोटर आईडी के साथ लिंकिंग को लेकर पेटीशन लंबित हैं।
कैसे लिंक करें आधार और वोटर आईडी? 4 आसान तरीके
ऑनलाइन पोर्टल: NVSP पोर्टल पर लॉगिन करके “लिंक आधार” विकल्प चुनें।
मोबाइल ऐप: ईसीआई के ‘वोटर हेल्पलाइन ऐप’ के जरिए।
ऑफलाइन: अपने बूथ लेवल अधिकारी (BLO) को आधार की फोटोकॉपी जमा करें।
एसएमएस: अपना वोटर आईडी नंबर और आधार नंबर <ECILINK> टाइप करके 166 या 51969 पर भेजें।
नोट: लिंकिंग के लिए अंतिम तिथि अभी 31 दिसंबर 2025 है।
डेटा सुरक्षा को लेकर चिंताएँ: क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ प्रणव मिश्रा: “आधार डेटा का उपयोग राजनीतिक पार्टियों द्वारा टार्गेटेड प्रचार के लिए हो सकता है। UIDAI को डेटा लीक रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्ण: “निजता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए लिंकिंग स्वैच्छिक होनी चाहिए।”
सरकार का रुख
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल: “आधार-वोटर लिंकिंग से चुनावी धोखाधड़ी 90% तक कम होगी। डेटा सुरक्षा के लिए बहुस्तरीय एन्क्रिप्शन का उपयोग किया जा रहा है।”
UIDAI प्रवक्ता: “आधार डेटा सिर्फ ईसीआई के साथ साझा किया जाएगा। इसे किसी तीसरे पक्ष को नहीं बेचा जाएगा।”
लिंकिंग न करने पर क्या होगा?
वोटर आईडी रद्द नहीं होगी, लेकिन ईसीआई “संदिग्ध” मतदाताओं की सूची में नाम डाल सकता है।
भविष्य में मतदान के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण अनिवार्य हो सकता है।
किन राज्यों में है सबसे अधिक लिंकिंग?
ईसीआई के आँकड़ों (जुलाई 2025 तक) के अनुसार:
तेलंगाना: 89%
आंध्र प्रदेश: 85%
गुजरात: 78%
उत्तर प्रदेश: 62%
पश्चिम बंगाल: 54%
आम लोगों की राय
रमेश कुमार (दिल्ली): “लिंकिंग से वोटर लिस्ट में गड़बड़ी कम हुई है। मेरा नाम दो बूथों पर था, जो अब सही हो गया।”
आशा वर्मा (मुंबई): “मुझे डर है कि मेरा डेटा गलत हाथों में जाएगा। सरकार को पहले डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।”
भविष्य की योजनाएँ
डिजिटल वोटर आईडी: QR कोड के साथ डिजिटल कार्ड, जिसे आधार से लिंक किया जा सकेगा।
रिमोट वोटिंग: NRI और प्रवासी मजदूर आधार-आधारित OTP से वोट डाल सकेंगे।
निष्कर्ष: सुविधा और सुरक्षा के बीच संतुलन जरूरी
आधार-वोटर आईडी लिंकिंग चुनावी सुधारों की दिशा में एक अहम कदम है, लेकिन निजता के अधिकार और डेटा दुरुपयोग का खतरा भी बरकरार है। सरकार को नागरिकों की चिंताओं को दूर करते हुए पारदर्शी तंत्र विकसित करना होगा।
✍️ लेखक: Shruti Mishra, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक
स्रोत: भारत निर्वाचन आयोग, UIDAI, सुप्रीम कोर्ट दस्तावेज (अगस्त 2025)
Author Profile
SHRUTI MISHRA
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