भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश ने 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र में वर्ल्ड चेस चैंपियन बनने का अद्वितीय रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने मौजूदा चैंपियन डिंग लिरेन को 14वें और निर्णायक मैच में 7.5-6.5 के स्कोर से हराया। यह जीत न केवल उनके लिए बल्कि भारतीय शतरंज समुदाय के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। गुकेश, विश्वनाथन आनंद के बाद वर्ल्ड चेस चैंपियन का खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं।
गुकेश का शतरंज के प्रति जुनून बचपन से ही दिखाई दिया। उन्होंने 7 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया। चेन्नई के वेलाम्मल विद्यालय में शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद, चौथी कक्षा के बाद उन्होंने नियमित स्कूल छोड़ दिया ताकि वे शतरंज में अपना करियर बना सकें। उनके माता-पिता, डॉ. रजनीकांत (ईएनटी सर्जन) और डॉ. पद्मा (माइक्रोबायोलॉजिस्ट), ने उनके इस निर्णय में उनका पूरा साथ दिया।
गुकेश के स्कूल वेलाम्मल ने उनकी उपलब्धियों का उत्सव मनाने के लिए एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया। उन्हें स्कूल की ओर से मर्सिडीज बेंज कार भेंट की गई। यह स्कूल शतरंज प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध है और इसमें अन्य ग्रैंडमास्टर्स जैसे प्रज्ञानंद और वैशाली रमेशबाबू ने भी पढ़ाई की है।
गुकेश के इस ऐतिहासिक सफर में कड़ी मेहनत, अनुशासन और उनके कोच का मार्गदर्शन अहम रहा। उनकी जीत ने न केवल भारतीय शतरंज को नई ऊंचाई दी है, बल्कि युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा भी दी है।