5 अहम बदलाव: पंजाब सरकारी नौकरियों में महिला आरक्षण नियम पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकारी नौकरियों में एससी स्पोर्ट्स श्रेणी के तहत महिला आरक्षण नियम को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जानें कैसे यह फैसला भर्ती प्रक्रिया और महिलाओं के अधिकारों को प्रभावित करेगा।
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पंजाब सरकारी नौकरियों में महिला आरक्षण नियम
मामले की पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल, 2025 को पंजाब सरकारी सेवाओं में महिला आरक्षण नियम से जुड़े एक विवादित मामले में अपना निर्णय सुनाया। मामला पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन (PPSC) द्वारा डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP) के पदों पर भर्ती के दौरान एससी स्पोर्ट्स श्रेणी में महिलाओं के लिए आरक्षण को लेकर था। मुख्य बिंदु:
2016 का विज्ञापन: PPSC ने 4 जून, 2020 को 77 पदों के लिए भर्ती निकाली, जिसमें DSP के 26 पद शामिल थे।
2020 के नए नियम: 21 अक्टूबर, 2020 को पंजाब सरकार ने महिला आरक्षण नियम लागू किए, जिसमें सभी श्रेणियों में 33% आरक्षण का प्रावधान किया गया।
विज्ञापन रद्द करना: नए नियमों के अनुरूप PPSC ने 11 दिसंबर, 2020 को नया विज्ञापन (नंबर 14) जारी किया, जिसमें DSP के एक पद को “एससी स्पोर्ट्स (महिला)” के लिए आरक्षित किया गया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में निम्नलिखित मुद्दों को स्पष्ट किया:
भर्ती प्रक्रिया के नियम: एक बार भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों को बदलना असंवैधानिक है।
रोस्टर सिस्टम का असर: 29 जनवरी, 2021 को पेश किए गए रोस्टर सिस्टम को पुराने विज्ञापन पर लागू नहीं किया जा सकता।
दो विभागों का विवाद: पंजाब सरकार के गृह विभाग और सामाजिक न्याय विभाग के बीच आरक्षण को लेकर विरोधाभासी बयानों को कोर्ट ने खारिज किया।
प्रभावी निर्णय: एससी स्पोर्ट्स (महिला) श्रेणी में केवल प्रभाजोत कौर योग्य पाई गईं, इसलिए उन्हें DSP पद दिया जाएगा।
महिला आरक्षण नियम पर प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट ने महिला आरक्षण नियम के संदर्भ में कई अहम टिप्पणियां कीं:
क्षैतिज आरक्षण: 33% आरक्षण “क्षैतिज” (हॉरिजॉन्टल) है, यानी यह एससी, एसटी, ओबीसी जैसी सभी श्रेणियों में लागू होता है।
रोस्टर की भूमिका: आरक्षण लागू करने के लिए राज्य सरकार ने 29 दिसंबर, 2020 को रोस्टर सिस्टम पेश किया, लेकिन यह नए विज्ञापन (11 दिसंबर, 2020) के बाद आया, इसलिए इसे लागू नहीं किया जा सकता।
विज्ञापन की वैधता: विज्ञापन संख्या 14 में DSP पद को “एससी स्पोर्ट्स (महिला)” के लिए आरक्षित करना वैध था, क्योंकि यह 2020 के नियमों के अनुरूप था।
भर्ती प्रक्रिया में बदलाव की मनाही
कोर्ट ने K. मंजूश्री बनाम आंध्र प्रदेश सरकार (2008) के मामले का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि:
नियमों में बदलाव नहीं: भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण के नियम बदलना “खेल के बीच में नियम बदलने” जैसा है।
मेरिट लिस्ट का महत्व: एक बार मेरिट लिस्ट जारी हो जाने के बाद, उम्मीदवारों के अधिकारों को छीना नहीं जा सकता।
विज्ञापन की प्राथमिकता: राज्य सरकार विज्ञापन जारी करने के बाद रोस्टर सिस्टम लागू नहीं कर सकती, क्योंकि यह उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा।
आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पंजाब सरकार और अन्य राज्यों के लिए क्या संदेश है?
स्पष्ट नीतियां बनाएं: भर्ती से पहले आरक्षण नियम और रोस्टर सिस्टम को अंतिम रूप देना ज़रूरी है।
विभागीय समन्वय: अलग-अलग विभागों के बीच विरोधाभासी बयान भर्ती प्रक्रिया को अस्त-व्यस्त कर सकते हैं।
महिला आरक्षण नियम का पालन: क्षैतिज आरक्षण के तहत महिलाओं को मिलने वाले 33% कोटे को सख्ती से लागू किया जाए।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिला आरक्षण नियम और सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता के लिए एक मिसाल है। इससे यह स्पष्ट हुआ कि भर्ती के दौरान नियमों में मनमाने बदलाव नहीं किए जा सकते। साथ ही, यह फैसला महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों को मजबूती देता है, खासकर एससी/एसटी जैसी वंचित श्रेणियों में। अब पंजाब सरकार को DSP पद पर प्रभाजोत कौर की नियुक्ति तीन हफ्तों के भीतर करनी होगी।