सुप्रीम कोर्ट ने 1984 के बलात्कार मामले में लोक मल की अपील खारिज की, हाई कोर्ट का फैसला बरकरार

सुप्रीम कोर्ट – अपराधियों को देरी से भी सजा मिल सकती है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय भविष्य के मामलों में पीड़िताओं को न्याय की उम्मीद दिलाएगा

सुप्रीम कोर्ट ने COFEPOSA के तहत निरोध आदेश रद्द किया: “बेल शर्तों की अनदेखी गंभीर त्रुटि”

सुप्रीम कोर्ट ने जॉय किट्टी जोसेफ की अपील स्वीकार करते हुए COFEPOSA एक्ट के तहत जारी निरोध आदेश को रद्द किया। कोर्ट ने कहा कि निरोध प्राधिकरण ने बेल पर लगाई गई शर्तों की पर्याप्त जांच नहीं की।

सुप्रीम कोर्ट ने 47 साल पुराने संपत्ति विवाद का अंत करते हुए डिक्री लागू करने के निर्देश दिए

सुप्रीम कोर्ट ने 47 साल पुराने संपत्ति कब्जे के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जानें कैसे न्यायालय ने निष्पादन प्रक्रिया में देरी को “न्याय के खिलाफ” बताते हुए मकान मालिकों को राहत दी।

सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए किरायेदार को खाली करने का आदेश दिया

यह फैसला संपत्ति कानूनों की स्पष्ट व्याख्या करता है। विरोधी कब्जे के दावे बिना ठोस सबूत के नहीं चल सकते।सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को याद दिलाया कि द्वितीय अपील तथ्यों का पुनर्मूल्यांकन नहीं है। यह केस भविष्य के लिए एक मिसाल है।

सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति हस्तांतरण के मामले में अवमानना पर दिया ऐतिहासिक निर्णय

मामले का संक्षिप्त विवरण सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपील संख्या 13999/2024 में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए अवमानना के मामले में आरोपितों को दोषी ठहराया। यह मामला कर्नाटक हाई कोर्ट के उस निर्णय के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर आधारित था, जिसमें अपीलकर्ताओं (मूल प्रतिवादी) को कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का दोषी…

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: एक्स-पार्टी डिक्री और देरी माफी पर महत्वपूर्ण निर्देश

भविष्य के मामलों के लिए सीख:

एक्स-पार्टी डिक्री को चुनौती देने में तात्कालिकता जरूरी।

कानूनी प्रक्रियाओं में लापरवाही महंगी पड़ सकती है।

मध्य प्रदेश राज्य: हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में सजा कम की

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इस फैसले ने न्यायिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता और तथ्यों के गहन विश्लेषण की आवश्यकता को उजागर किया है। यह मामला दर्शाता है कि कैसे पारिवारिक विवाद अचानक हिंसा में बदल सकते हैं और न्यायालय को ऐसे मामलों में मानवीय पहलू को ध्यान में रखना चाहिए। इस निर्णय से न केवल आरोपी को न्याय मिला है, बल्कि पीड़ित परिवार को भी आर्थिक सहारा प्रदान किया गया है।

महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम बनाम सुभाष ब्राम्हे: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नियोक्ताओं को पुराने समझौतों और न्यायिक आदेशों का सम्मान करना चाहिए। MSRTC के लिए यह एक चेतावनी है कि वह कर्मचारियों के हितों को अनदेखा करके एकतरफा फैसले न ले।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पत्नी की हत्या के आरोपी पति की बरीी पर फिर से सुनवाई का आदेश, हाईकोर्ट को दी नई गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के माध्यम से न्यायिक संवेदनशीलता और पारदर्शिता पर जोर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “अपील की अनुमति देने से इनकार करना केवल तभी उचित है जब ट्रायल कोर्ट का फैसला पूरी तरह तर्कसंगत हो।” मामले को हाईकोर्ट में पुनः सुनवाई के लिए भेजकर, सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार को न्याय की नई उम्मीद दी है।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी रद्द, लैंगिक संवेदनशीलता और न्यायिक समीक्षा पर जोर

PROBOTION सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के माध्यम से न्यायिक व्यवस्था में लैंगिक संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण को मजबूती दी है। न्यायमूर्ति नागरथ्ना ने कहा, “न्यायाधीशों का कार्य केवल कानूनी प्रावधानों को लागू करना नहीं, बल्कि समाज की नैतिक जिम्मेदारी भी उठाना है। महिला अधिकारियों के साथ होने वाले भेदभाव से न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचती है।”