सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए किरायेदार को खाली करने का आदेश दिया

यह फैसला संपत्ति कानूनों की स्पष्ट व्याख्या करता है। विरोधी कब्जे के दावे बिना ठोस सबूत के नहीं चल सकते।सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को याद दिलाया कि द्वितीय अपील तथ्यों का पुनर्मूल्यांकन नहीं है। यह केस भविष्य के लिए एक मिसाल है।

सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति हस्तांतरण के मामले में अवमानना पर दिया ऐतिहासिक निर्णय

मामले का संक्षिप्त विवरण सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपील संख्या 13999/2024 में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए अवमानना के मामले में आरोपितों को दोषी ठहराया। यह मामला कर्नाटक हाई कोर्ट के उस निर्णय के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर आधारित था, जिसमें अपीलकर्ताओं (मूल प्रतिवादी) को कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का दोषी…

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: एक्स-पार्टी डिक्री और देरी माफी पर महत्वपूर्ण निर्देश

भविष्य के मामलों के लिए सीख:

एक्स-पार्टी डिक्री को चुनौती देने में तात्कालिकता जरूरी।

कानूनी प्रक्रियाओं में लापरवाही महंगी पड़ सकती है।

मध्य प्रदेश राज्य: हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में सजा कम की

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इस फैसले ने न्यायिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता और तथ्यों के गहन विश्लेषण की आवश्यकता को उजागर किया है। यह मामला दर्शाता है कि कैसे पारिवारिक विवाद अचानक हिंसा में बदल सकते हैं और न्यायालय को ऐसे मामलों में मानवीय पहलू को ध्यान में रखना चाहिए। इस निर्णय से न केवल आरोपी को न्याय मिला है, बल्कि पीड़ित परिवार को भी आर्थिक सहारा प्रदान किया गया है।

महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम बनाम सुभाष ब्राम्हे: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नियोक्ताओं को पुराने समझौतों और न्यायिक आदेशों का सम्मान करना चाहिए। MSRTC के लिए यह एक चेतावनी है कि वह कर्मचारियों के हितों को अनदेखा करके एकतरफा फैसले न ले।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पत्नी की हत्या के आरोपी पति की बरीी पर फिर से सुनवाई का आदेश, हाईकोर्ट को दी नई गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के माध्यम से न्यायिक संवेदनशीलता और पारदर्शिता पर जोर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “अपील की अनुमति देने से इनकार करना केवल तभी उचित है जब ट्रायल कोर्ट का फैसला पूरी तरह तर्कसंगत हो।” मामले को हाईकोर्ट में पुनः सुनवाई के लिए भेजकर, सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार को न्याय की नई उम्मीद दी है।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी रद्द, लैंगिक संवेदनशीलता और न्यायिक समीक्षा पर जोर

PROBOTION सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के माध्यम से न्यायिक व्यवस्था में लैंगिक संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण को मजबूती दी है। न्यायमूर्ति नागरथ्ना ने कहा, “न्यायाधीशों का कार्य केवल कानूनी प्रावधानों को लागू करना नहीं, बल्कि समाज की नैतिक जिम्मेदारी भी उठाना है। महिला अधिकारियों के साथ होने वाले भेदभाव से न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचती है।”

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: मोटर दुर्घटना पीड़ितों को मिलेगा पूरा मुआवजा, “योगदानकारी लापरवाही” का आरोप गलत

जस्टिस करोल ने कहा, “मोटर वाहन अधिनियम एक कल्याणकारी कानून है। इसका उद्देश्य पीड़ितों को त्वरित और न्यायसंगत मुआवजा दिलाना है, न कि तकनीकी बहसों में उलझाना।” यह फैसला दुर्घटना पीड़ितों के अधिकारों की मिसाल बनेगा।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: उपभोक्ता शिकायतों में “मियाद” (लिमिटेशन) पर रोक, निरंतर कार्रवाई के मामलों में समयसीमा लागू नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “तकनीकी कानूनी पेंच” उपभोक्ताओं के अधिकारों पर भारी नहीं पड़ सकते। इस फैसले से यह संदेश मिलता है कि न्यायपालिका आम आदमी के हितों को प्राथमिकता देती है। अब एनसीडीआरसी को मामले की सुनवाई कर 6 महीने में फैसला सुनाना होगा।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: वरिष्ठ नागरिकों को मिली संपत्ति वापसी का अधिकार, गिफ्ट डीड रद्द करने की शक्ति पर मुहर

सुप्रीम कोर्ट, वरिष्ठ नागरिक अधिनियम 2007, गिफ्ट डीड रद्द, संपत्ति वापसी, धारा 23, सामाजिक न्याय, उच्च न्यायालय, याचिका