हरीश साल्वे भारत का चमकता सितारा जिसने दुनिया में भारत का नाम ऊंचा किया
1. परिचय
हरीश साल्वे भारतीय वकालत के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। वे न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी वकालत की गहरी समझ, मजबूत तर्कशक्ति और अद्वितीय कानूनी दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। उनके करियर की शुरुआत से लेकर सर्वोच्च न्यायालय में महत्वपूर्ण मुकदमों तक, हरीश साल्वे ने निरंतर अपने कौशल का प्रदर्शन किया है और भारतीय न्याय प्रणाली में अपना अमूल्य योगदान दिया है।
हरीश साल्वे केसी दुनिया के अग्रणी मध्यस्थता सलाहकारों में से एक हैं। उनका बारीक नजर एवं मामले की गहरी से समझना के क्षमता अतुलनीय एवं अनेको लोगो के लिया प्रेरणा का माध्यम रहा है। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैश्विक अनुभवी और वरिष्ठ वकील हैं। वाणिज्यिक मध्यस्थता और मुकदमेबाजी में उनको महरात हासिल है कानून के जटिल प्रक्रिया को समझ कार बड़ी ही सटीकता से एवं सरल तरीके से उसको वह जजों के सामने नियमों को स्पष्ट रूप से समझाने में सक्षम है । उन्हें कानून की बारीकियों की समझ है उनकी विशेष रूचि अंतर्राष्ट्रीय कानून, मानवाधिकार, नागरिक धोखाधड़ी, सार्वजनिक, ऊर्जा और कर इत्यादि में है।
हरीश को इंग्लैंड और वेल्स में 2020 में शामिल हुआ एवं इंग्लैंड की अदालत में वो क़ानूनी मामलो में पैरवी करता है। हरीश पूर्व में भारत के सॉलिसिटर जनरल थे और भारतीय बार कौंसिल ने उन्हे वरिष्ठ वकील की पदवी दी है (1992), बड़े पैमाने पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत करते रहे हैं। हरीश को भारत के सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था जिसकी घोषणा साल 2015 में हुई।
अधिवक्ता हरीश साल्वे को क्वींस काउंसिल के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। साथ ही वह निजी तौर पर भी कई ममो में पैरवी करते है। वरिष्ठ वकील के साथ-साथ मध्यस्थ के रूप में उनके कार्यो की अत्यधिक सराहना की जाती है विधिक जगत में। इंटरनेशनल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स, लंदन कोर्ट द्वारा मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया गया अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता, और सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता परिषद। दिखाई दिया जिनेवा, लंदन में अंतर्राष्ट्रीय पंचाट न्यायाधिकरण के समक्ष मुख्य वकील के रूप में, सिंगापुर, हेग, पेरिस आदि सिंगापुर की अदालत की एक समिति द्वारा सदस्य नियुक्त किया गया इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन चैंबर और लंदन काउंसिल ऑफ इंटरनेशनल में मध्यस्थता करना। इस पर रिपोर्ट देने के लिए सिंगापुर सरकार द्वारा गठित एक समिति के सदस्य नियुक्त की गई है जो सिंगापुर में अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय की स्थापना पर अपना अभिमत देंगे ।
जुलाई 2013 में अपने भारतीय होने के आधार पर यूनाइटेड किंगडम और वेल्स के बार में सदसयता मिली उन्हें कुछ नियमो में छूट भी दे गयी है।
शिक्षण
उन्होंने अपना करियर एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में काम शुरू किया, विशेष रूप से टैक्स का काम किया।उन्होंने जे.बी. दादाचंजी एंड कंपनी से जुड़े एक प्रशिक्षार्थी के रूप में फिर वो प्रमोट हो गया एक सहयोगी के रूप में फिर वो अधिवक्ता परामर्श अभ्यास में रूचि ली एवं श्री सोली सोराबजी (भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल) के चैंबर में शामिल हो गए 1980 में। 1986 में स्वतंत्र चैंबर की स्थापना की। 1992 में एक वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया। ज्यादातर भारत के सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत करते रहे हैं। उन्होंने लगभग सभी उच्च न्यायालयों किसी न किसी मामले में पैरवी की है। 1999 में भारत के सॉलिसिटर जनरल बने – 43 वर्ष की आयु में सबसे कम उम्र के सॉलिसिटर जनरल बने।
नवंबर 2002 में निजी प्रैक्टिस में लौट आये। उन्होंने सोलिस्टर जनरल बनाने पेशकश की गयी पर उन्होंने इंकार कर दिया
2. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
हरीश साल्वे का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था, जहाँ कानून और न्याय के प्रति रुचि बचपन से ही थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत के प्रमुख विद्यालयों से प्राप्त की और बाद में कानून की पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल की। साथ ही, उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंसी के क्षेत्र में भी गहरी जानकारी प्राप्त की, जिसने उन्हें कानून के आर्थिक पहलुओं को समझने में मदद की। उनके शिक्षण काल में ही उन्होंने न्याय, नैतिकता और समाज सेवा के सिद्धांतों से परिचित होना शुरू कर दिया था, जो आगे चलकर उनके करियर का आधार बने।
3. वकालत में करियर
हरीश साल्वे ने अपने वकालत करियर की शुरुआत करते हुए पहले छोटे-मोटे मामलों में हाथ आजमाया। जल्द ही उन्होंने महत्वपूर्ण मामलों में भाग लेना शुरू कर दिया और 1999 से 2002 के बीच भारत के सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात, उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में कई महत्वपूर्ण मुकदमों में हिस्सा लिया, जिनमें संवैधानिक, वाणिज्यिक और आपराधिक मामलों का समावेश था। उनकी मजबूत दलीलें और गहन शोध ने उन्हें कानूनी जगत में एक विश्वसनीय और प्रभावशाली वकील बना दिया।
4. प्रमुख केस और उपलब्धियां
हरीश साल्वे के करियर में कई ऐसे मुकदमे रहे हैं जिन्होंने भारतीय न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक मोड़ दिए:
- कुलभूषण जाधव केस: इस मामले में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व किया।
- अयोध्या विवाद: विवादास्पद और संवेदनशील मामले में उनका प्रभावशाली वकालत ने न्यायपालिका में चर्चा का विषय बना दिया।
- Vodafone टैक्स विवाद: इस मामले में उनके द्वारा दिए गए फैसलों ने बड़े पैमाने पर कर नीति में सुधार की दिशा में संकेत दिए।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हरीश साल्वे की वकालत के कई महत्वपूर्ण केस रहे हैं, जिससे उन्हें दुनिया भर में सम्मान मिला।
5. उनकी वकालत शैली
हरीश साल्वे की वकालत शैली अत्यंत प्रभावशाली और विश्लेषणात्मक है। वे अपने मुकदमों में:
- मजबूत तर्क और गहन शोध पर जोर देते हैं।
- कानून की गहरी समझ का प्रदर्शन करते हैं।
- न्यायिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करते हैं, जिससे कोर्टों पर उनका प्रभाव स्पष्ट होता है। उनकी प्रस्तुति में स्पष्टता, तार्किकता और आत्मविश्वास झलकता है, जो उन्हें हर मुकदमे में एक अलग मुकाम दिलाता है।
6. पुरस्कार और सम्मान
हरीश साल्वे को भारतीय कानूनी क्षेत्र में उनके योगदान के लिए अनेक सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से नवाजा गया है, और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उनकी वकालत की प्रशंसा की गई है। उनके सम्मान में दिए गए पुरस्कार यह दर्शाते हैं कि उनके द्वारा दी गई सेवा ने भारतीय न्याय व्यवस्था को नई दिशा दी है।
7. व्यक्तिगत जीवन
हरीश साल्वे का व्यक्तिगत जीवन भी उतना ही प्रेरणादायक है। वे एक साधारण परिवार से हैं, जहाँ न्याय और नैतिकता की महत्ता बचपन से ही सिखाई जाती थी। अपने व्यस्त कानूनी करियर के साथ, वे समाज सेवा और दान-पुण्य में भी सक्रिय रहते हैं। अपने परिवार और मित्रों के साथ संतुलित जीवन जीते हुए, वे हमेशा दूसरों के हित में भी सोचना नहीं भूलते।
8. प्रेरणा और प्रभाव
हरीश साल्वे युवा वकीलों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनके संघर्षपूर्ण करियर ने यह साबित कर दिया है कि जुनून, कड़ी मेहनत और न्याय के प्रति समर्पण किसी को भी सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है। भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार के लिए उनके द्वारा दिये गए महत्वपूर्ण फैसलों ने न केवल कोर्टों में बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाए हैं।
9. निष्कर्ष
हरीश साल्वे भारतीय कानून के क्षेत्र में एक चमकता सितारा हैं। उनका जीवन, संघर्ष और सफलता हमें यह सिखाते हैं कि कानूनी दुनिया में उत्कृष्टता पाने के लिए निरंतर मेहनत, समर्पण और नैतिकता की आवश्यकता होती है। उनकी वकालत शैली और उनके द्वारा दिये गए निर्णय आज भी लाखों युवा वकीलों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
“हरीश साल्वे का जीवन यह सिखाता है कि जुनून, कड़ी मेहनत और न्याय के प्रति समर्पण किसी भी व्यक्ति को सफलता की ऊँचाइयों तक ले जा सकता है।”
Author Profile
