सुप्रीम कोर्ट ने कोमा में जीवन जी रहे दुर्घटना पीड़ित को मुआवजा बढ़ाया न्यायालय ने 48.7 लाख रुपये का आदेश दिया, चिकित्सा बोर्ड की 100% विकलांगता रिपोर्ट को माना आधार
नई दिल्ली, 10 फरवरी 2025: सुप्रीम कोर्ट ने एक गंभीर सड़क दुर्घटना में कोमा में चले गए पीड़ित प्रकाश चंद शर्मा को मुआवजे की राशि बढ़ाते हुए 48.7 लाख रुपये देने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह ऐतिहासिक निर्णय सुनाया।
23 मार्च 2014 को राजस्थान के अलवर जिले में प्रकाश चंद शर्मा अपनी मोटरसाइकिल पर सवार होकर गांव लौट रहे थे, तभी एक मारुति ओमनी ने गलत साइड से टक्कर मार दी। इस हादसे में शर्मा के सिर और पैर में गंभीर चोटें आईं, और वह कोमा में चले गए। पुलिस ने फर्जी रिपोर्ट दर्ज की, लेकिन बीमा कंपनी ने मुआवजे की राशि को लेकर विवाद खड़ा कर दिया।
मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल, अलवर (2017): 16.29 लाख रुपये मुआवजा दिया गया, जिसमें 50% विकलांगता और चिकित्सा खर्च शामिल थे।
राजस्थान हाई कोर्ट (2023): मुआवजा बढ़ाकर 19.39 लाख रुपये किया, लेकिन चिकित्सा बोर्ड की 100% विकलांगता रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया।
चिकित्सा बोर्ड की रिपोर्ट को मान्यता:
कोर्ट ने कहा कि ट्रिब्यूनल को चिकित्सा बोर्ड की 100% विकलांगता रिपोर्ट पर सवाल नहीं उठाना चाहिए था। रिपोर्ट के अनुसार, शर्मा बोलने, चलने या स्वयं की देखभाल करने में अक्षम हैं और उन्हें कैथेटर लगा है।
भविष्य के नुकसान और अटेंडेंट चार्ज:
आय की हानि: 100% विकलांगता के आधार पर भविष्य की आय का नुकसान 24.79 लाख रुपये माना गया।
अटेंडेंट खर्च: 5,000 रुपये प्रति माह के हिसाब से 7.80 लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया गया।
दर्द और पीड़ा के लिए बढ़ा मुआवजा:
कोर्ट ने ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए 2 लाख रुपये को अपर्याप्त बताते हुए इसे 6 लाख रुपये कर दिया।
अपीलकर्ता का पक्ष: वकीलों ने राज कुमार बनाम अजय कुमार (2011) और काजल बनाम जगदीश चंद (2020) जैसे केसों का हवाला देते हुए कहा कि विकलांगता का आकलन विशेषज्ञों के पास होना चाहिए।
बीमा कंपनी का पक्ष: कंपनी ने दावा किया कि 100% विकलांगता के सबूत नहीं हैं और अटेंडेंट के वेतन का कोई प्रमाण नहीं दिया गया।
कोर्ट की प्रतिक्रिया: “कोमा में जीवन जी रहे व्यक्ति के लिए मुआवजा केवल आर्थिक नहीं, बल्कि मानवीय पहलू भी देखना होता है।”
मद | मुआवजा (रुपये में) |
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भविष्य की आय की हानि | 24,79,620 |
भविष्य की संभावनाएं | 30,99,525 |
अटेंडेंट खर्च | 7,80,000 |
चिकित्सा व्यय | 1,71,155 |
दर्द और पीड़ा | 6,00,000 |
कुल | 48,70,000 |
इस राशि पर 7% वार्षिक ब्याज भी लागू होगा, जो दावा दाखिल करने की तारीख से देय होगा।
यह फैसला चिकित्सा विशेषज्ञों की राय के महत्व और गंभीर दुर्घटनाओं में पीड़ितों के मानवाधिकारों को रेखांकित करता है। न्यायमूर्ति करोल ने कहा, “मुआवजा केवल आंकड़े नहीं, बल्कि पीड़ित के पुनर्वास का साधन होना चाहिए।”
संदर्भ: Civil Appeal No. 2025 (SLP(C) 3066/2024), प्रकाश चंद शर्मा बनाम रामबाबू सैनी एवं अन्य।