मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश
जबलपुर:
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति श्री विवेक जैन शामिल हैं, ने रामराज पटेल और अन्य द्वारा दायर याचिका (रिट पिटिशन नंबर 34551/2024) पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं।
Share this:
- Click to share on WhatsApp (Opens in new window) WhatsApp
- Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
- Click to share on X (Opens in new window) X
- Click to share on Telegram (Opens in new window) Telegram
- Click to share on X (Opens in new window) X
- Click to print (Opens in new window) Print
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश: जिला पुलिस बल में प्राथमिकता देने का निर्देश
जबलपुर:
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति श्री विवेक जैन शामिल हैं, ने रामराज पटेल और अन्य द्वारा दायर याचिका (रिट पिटिशन नंबर 34551/2024) पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं।
याचिका के मुख्य बिंदु:
याचिकाकर्ताओं ने निम्नलिखित राहतों की मांग की थी:
- रिकॉर्ड प्रस्तुत करना: कोर्ट से अनुरोध किया गया कि याचिकाकर्ताओं से संबंधित मामले का पूरा रिकॉर्ड प्रस्तुत किया जाए।
- आदेश रद्द करना: याचिकाकर्ताओं ने 30.12.2022 और 16.02.2023 के आदेशों को रद्द करने और उन्हें जिला पुलिस बल में प्राथमिकता के साथ नियुक्त करने की मांग की थी।
- चयन सूची में संशोधन: याचिकाकर्ताओं ने प्रवीण कुमार कुरमी बनाम मध्य प्रदेश राज्य (सिविल अपील नंबर 7663/2021) के फैसले के आधार पर चयन सूची को पुनः तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
अदालत का निर्णय:
- कोर्ट ने पाया कि 30.12.2022 और 16.02.2023 को जारी किए गए आदेशों में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि प्रवीण कुमार कुरमी बनाम मध्य प्रदेश राज्य के मामले का निर्णय वर्तमान मामले में क्यों लागू नहीं किया गया।
- अदालत ने इन आदेशों को रद्द करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को उनकी पसंद के अनुसार और आरक्षित श्रेणी के मेरिट के आधार पर, सामान्य श्रेणी की पोस्ट पर नियुक्त किया जाए।
- कोर्ट ने मामले को निपटाते हुए यह सुनिश्चित किया कि याचिकाकर्ताओं को उनके अधिकार और प्राथमिकताएं प्रदान की जाएं।
पृष्ठभूमि:
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि उन्हें विशेष सशस्त्र बल (SAF) में नियुक्त किया गया था, लेकिन जिला पुलिस बल में प्राथमिकता नहीं दी गई। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का हवाला दिया।
प्रभाव:
हाई कोर्ट का यह फैसला न केवल याचिकाकर्ताओं के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि अन्य समान मामलों के लिए भी एक मिसाल साबित हो सकता है। यह आदेश यह सुनिश्चित करता है कि राज्य सरकार अपने निर्णयों में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करे।
Author Profile

SHRUTI MISHRA
Share this:
- Click to share on WhatsApp (Opens in new window) WhatsApp
- Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
- Click to share on X (Opens in new window) X
- Click to share on Telegram (Opens in new window) Telegram
- Click to share on X (Opens in new window) X
- Click to print (Opens in new window) Print