2025 में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय संपत्ति विवाद और सीमा अधिनियम पर नई रोशनी डालता है। जानें केस की पूरी कहानी, न्यायिक प्रक्रिया और इसके प्रभाव।

मोटर दुर्घटना मुआवजा, सुप्रीम कोर्ट ने दिए 20.55 लाख रुपये मुआवजे: हाथ कटने वाले मजदूर को मिला इंसाफ

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: श्रमिक के 60% विकलांगता पर 20.55 लाख रुपये का मुआवजा मोटर दुर्घटना दावा मामले में न्यायिक प्रक्रिया और मुआवजे की पुनर्गणना का विस्तृत विश्लेषण परिचय 7 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने Civil Appeal No. 2209 of 2025 के तहत एक मील का पत्थर निर्णय सुनाया, जिसमें इंदौर के एक 25 वर्षीय मजदूर…

2025 में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय संपत्ति विवाद और सीमा अधिनियम पर नई रोशनी डालता है। जानें केस की पूरी कहानी, न्यायिक प्रक्रिया और इसके प्रभाव।

सुप्रीम कोर्ट ने कोमा में जीवित व्यक्ति को 48.7 लाख रुपये का मुआवजा: मोटर दुर्घटना दावे का ऐतिहासिक निर्णय

परिचय 10 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने Civil Appeal No. 3066 of 2024 के तहत एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया, जिसमें राजस्थान के एक कोमा पीड़ित प्रकाश चंद शर्मा को 48.7 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। यह मामला न केवल 100% विकलांगता की गणना और चिकित्सा प्रमाणपत्रों के महत्व को उजागर करता है, बल्कि दीर्घकालिक न्यायिक देरी की समस्या पर भी प्रकाश डालता है।…

2025 में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय संपत्ति विवाद और सीमा अधिनियम पर नई रोशनी डालता है। जानें केस की पूरी कहानी, न्यायिक प्रक्रिया और इसके प्रभाव।

भारतीय सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्यायसंगतता: अमृत यादव बनाम झारखंड राज्य केस का विश्लेषण

अमृत यादव केस ने यह सिद्ध किया कि “कानून का शासन” केवल एक सिद्धांत नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रक्रिया है। भविष्य में, तकनीक और जनभागीदारी से भर्ती प्रक्रियाओं को और न्यायसंगत बनाया जा सकता है।

2025 में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय संपत्ति विवाद और सीमा अधिनियम पर नई रोशनी डालता है। जानें केस की पूरी कहानी, न्यायिक प्रक्रिया और इसके प्रभाव।

भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में अनुबंध की न्यायसंगतता: गोदरेज प्रोजेक्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड बनाम अनिल करलेकर केस का विश्लेषण

परिचय भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में बिल्डरों और गृह खरीदारों के बीच अनुबंध की शर्तें अक्सर विवाद का कारण बनती हैं। इनमें से एक प्रमुख मुद्दा है “अग्रिम राशि (Earnest Money) की जब्ती”। हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने गोदरेज प्रोजेक्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड बनाम अनिल करलेकर (2025 INSC 143) के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया, जिसमें बिल्डरों…

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भारतीय न्याय प्रणाली में डायिंग डिक्लेरेशन और साझा इरादे का महत्व: वसंत @ गिरीश बनाम कर्नाटक राज्य केस का विश्लेषण

परिचय भारतीय न्याय प्रणाली में डायिंग डिक्लेरेशन (मृत्युशय्या अभिकथन) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 34 (“साझा इरादा”) के प्रावधानों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये प्रावधान अक्सर गंभीर अपराधों, विशेषकर हत्या और दहेज हत्या के मामलों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वसंत @ गिरीश अकबरसाब सनावले और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य (2025 INSC 221)…

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बॉम्बे हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: नवी मुंबई प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया रद्द

जानें क्यों बॉम्बे हाईकोर्ट ने CIDCO द्वारा नवी मुंबई प्रोजेक्ट के लिए किए गए जमीन अधिग्रहण को अवैध घोषित किया। धारा 5A और 17 का उल्लंघन, किसानों के अधिकार, और भविष्य के प्रभावों पर विशेषज्ञ दृष्टिकोण।

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नागपुर नगर निगम के पूर्व हाइड्रेंट मिस्त्रियों की वेतनमान मांग खारिट, बॉम्बे HC ने कहा- “अवशोषण नीति के अनुसार ग्रेड पे सही”

अदालत: बॉम्बे उच्च न्यायालय, नागपुर पीठन्यायाधीश: न्यायमूर्ति अविनाश जी. घारोटे एवं अभय जे. मांत्री मामला संख्या: WP No.5274 of 2021 याचिकाकर्ता: विजय खोब्रागड़े समेत 4 कर्मचारी प्रतिवादी: नागपुर नगर निगम मुख्य मुद्दा: समयबद्ध पदोन्नति में ग्रेड पे ₹2800 के बजाय ₹2400 का विवाद मामले का सारांश बॉम्बे उच्च न्यायालय ने नागपुर नगर निगम के चार पूर्व “हाइड्रेंट मिस्त्री” कर्मचारियों की याचिका खारिज कर…

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बॉम्बे HC ने NAFED और रोज एंटरप्राइजेज के ₹339 करोड़ विवाद में फैसला पलटा, नई सुनवाई का आदेश

अदालत: बॉम्बे उच्च न्यायालयन्यायाधीश: न्यायमूर्ति ए.एस. चंदूरकर और राजेश पाटिल   मामला संख्या: COMMERCIAL ARBITRATION APPEAL NO.15 OF 2024 पक्ष: NAFED (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन) बनाम रोज एंटरप्राइजेज (P) लिमिटेड मुख्य धाराएँ: आर्बिट्रेशन एंड कंसिलिएशन एक्ट, 1996 की धारा 34 और 37 मुआवजा राशि: ₹33.97 करोड़ (पुरस्कार के तहत) मामले का सारांश बॉम्बे उच्च न्यायालय ने NAFED और रोज एंटरप्राइजेज (REPL) के…

डार्क नेट ड्रग केस में श्रद्धा सुराना को दिल्ली HC ने जमानत दी, कहा- “बिना सबूत के 3 साल जेल अन्याय”

डार्क नेट ड्रग केस में श्रद्धा सुराना को दिल्ली HC ने जमानत दी, कहा- “बिना सबूत के 3 साल जेल अन्याय”

अदालत: दिल्ली उच्च न्यायालयन्यायाधीश: माननीय न्यायमूर्ति अमित महाजन मेटा डेटा याचिकाकर्ता: श्रद्धा सुराना प्रतिवादी: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) कानूनी धाराएँ: NDPS अधिनियम की धारा 8(c)/20/22/29 जमानत शर्त: ₹50,000 का पर्सनल बॉन्ड + दो जमानती मामले का सारांश दिल्ली उच्च न्यायालय ने डार्क नेट और टेलीग्राम के जरिए अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी के आरोप में 2 साल 8 महीने से जेल में बंद श्रद्धा सुराना को जमानत दे दी।…

2025 में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय संपत्ति विवाद और सीमा अधिनियम पर नई रोशनी डालता है। जानें केस की पूरी कहानी, न्यायिक प्रक्रिया और इसके प्रभाव।

गोरखपुर हत्याकांड मामले में 7 साल 9 महीने जेल में रहने के बाद सर्वजीत सिंह को उच्च न्यायालय ने जमानत दी

अदालत: इलाहाबाद उच्च न्यायालयन्यायाधीश: माननीय न्यायमूर्ति कृष्ण पहल याचिकाकर्ता: सर्वजीत सिंह प्रतिवादी: उत्तर प्रदेश राज्य याचिकाकर्ता के वकील: श्री मयंक मोहन दत्त मिश्रा, श्री सुधांशु पांडेय प्रतिवादी के वकील: श्री सुनील कुमार, लर्न्ड एजीए मामले का सारांश इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गोरखपुर के जनगाहा थाने (क्राइम नंबर-156/2017) में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के आरोपी सर्वजीत सिंह को 7 साल 9 महीने की जेल…