mphc

अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट के फैसले को खारिज किया

न्यायालय में महत्वपूर्ण फैसला: आदेश को रद्द करने का निर्णय

mphc

  न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित एक्सटर्नमेंट आदेश को रद्द कर दिया है। यह आदेश बिना किसी सामग्री या सबूत के पारित किया गया था, जो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) और अनुच्छेद 21 के तहत प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

मामले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से श्री जय शुक्ला, अधिवक्ता ने पैरवी की, जबकि सरकार की ओर से श्री बी.के. उपाध्याय, सरकारी अधिवक्ता ने पैरवी की।

न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित एक्सटर्नमेंट आदेश अवैध और असंवैधानिक है। अदालत ने यह भी कहा है कि एक्सटर्नमेंट आदेश पारित करने से पहले जिला मजिस्ट्रेट को आवश्यक सामग्री और सबूतों का अध्ययन करना चाहिए।

इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील श्री जय शुक्ला ने तर्क दिया था कि एक्सटर्नमेंट आदेश पारित करने से पहले जिला मजिस्ट्रेट ने आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया था। अदालत ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए एक्सटर्नमेंट आदेश को रद्द कर दिया है।

इस फैसले के बाद, याचिकाकर्ता के वकील श्री जय शुक्ला ने कहा है कि यह फैसला मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा है कि यह फैसला न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया को दर्शाता है, जो कि कार्यपालिका के फैसलों की जांच करने के लिए महत्वपूर्ण है।

न्यायालय का फैसला निम्नलिखित है:

– आदेश को रद्द करने का निर्णय
– जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित एक्सटर्नमेंट आदेश को अवैध और असंवैधानिक घोषित करना
– आवश्यक सामग्री और सबूतों के बिना एक्सटर्नमेंट आदेश पारित करने की मनाही

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *