Gift deed गिफ्ट डीड बनाम वसीयत: संपत्ति विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय
जानिए कैसे सुप्रीम कोर्ट ने “गिफ्ट डीड बनाम वसीयत” के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। संपत्ति हस्तांतरण, कानूनी प्रावधान, और गिफ्ट डीड की वैधता पर पूरी जानकारी।
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केस का संक्षिप्त विवरण
1985 में, केरल के एक पिता ने अपनी बेटी को संपत्ति का गिफ्ट डीड बनाम वसीयत (दानपत्र) बनाया। हालांकि, 1993 में उन्होंने इस डीड को रद्द करके संपत्ति अपने बेटे को बेच दी। बेटी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां तीनों स्तर की अदालतों ने अलग-अलग फैसले दिए। आखिरकार, सुप्रीम कोर्ट ने गिफ्ट डीड की वैधता को बरकरार रखते हुए बेटी के पक्ष में फैसला सुनाया।
गिफ्ट डीड और वसीयत में अंतर
कानूनी परिभाषाएँ
गिफ्ट डीड (दानपत्र): यह एक ऐसा कानूनी दस्तावेज़ है जिसमें संपत्ति का मालिक (दाता) बिना किसी शर्त के अपनी संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति (दानप्राप्तकर्ता) को हस्तांतरित कर देता है। इसे Transfer of Property Act, 1882 के तहत विनियमित किया जाता है।
वसीयत (Will): यह एक टेस्टामेंटरी दस्तावेज़ होता है, जो संपत्ति के हस्तांतरण को मृत्यु के बाद प्रभावी बनाता है। इसे Indian Succession Act, 1925 के तहत मान्यता मिलती है।
मुख्य अंतर
प्रभावी समय: गिफ्ट डीड तुरंत प्रभावी होता है, जबकि वसीयत मृत्यु के बाद।
रद्द करने का अधिकार: गिफ्ट डीड को आमतौर पर रद्द नहीं किया जा सकता, जबकि वसीयत को कभी भी बदला या रद्द किया जा सकता है।
स्वीकृति: गिफ्ट डीड के लिए दानप्राप्तकर्ता की स्वीकृति ज़रूरी है, जबकि वसीयत में ऐसी कोई शर्त नहीं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें
एच3: गिफ्ट डीड की वैधता
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 1985 का दस्तावेज़ एक वैध गिफ्ट डीड था, क्योंकि:
दाता ने संपत्ति का अधिकार तुरंत बेटी को हस्तांतरित किया था।
बेटी ने डीड को पंजीकृत करवाकर स्वीकृति दर्शाई थी।
दाता ने केवल आजीवन आय के अधिकार (Life Interest) को सुरक्षित रखा था, जो गिफ्ट डीड को अमान्य नहीं करता।
रद्दीकरण और बिक्री की अवैधता
1993 में डीड को रद्द करना और संपत्ति बेचना कानूनी रूप से अमान्य था, क्योंकि गिफ्ट डीड पहले ही पूरा हो चुका था।
Section 126, Transfer of Property Act के अनुसार, गिफ्ट डीड को केवल आपसी सहमति या कानूनी प्रक्रिया से ही रद्द किया जा सकता है।
इस फैसले का समाज पर प्रभाव
संपत्ति अधिकारों में पारदर्शिता
यह फैसला पारिवारिक संपत्ति विवादों में स्पष्टता लाता है। अब लोग जानेंगे कि गिफ्ट डीड और वसीयत के बीच अंतर समझना क्यों ज़रूरी है।
महिलाओं के अधिकारों को मज़बूती
केस में बेटी के पक्ष में फैसला महिला संपत्ति अधिकारों को मजबूत करता है। यह संदेश देता है कि कानूनी दस्तावेज़ों की वैधता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
एच2: संबंधित कीवर्ड्स
गिफ्ट डीड बनाम वसीयत
संपत्ति हस्तांतरण कानून
दानपत्र की वैधता
केरल संपत्ति विवाद
ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट
लाइफ इंटरेस्ट का अधिकार
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने गिफ्ट डीड और वसीयत के बीच कानूनी भ्रम को दूर किया है। यह समाज को यह सीख देता है कि संपत्ति के हस्तांतरण से पहले कानूनी प्रक्रियाओं को समझना और दस्तावेज़ों को सावधानी से तैयार करना कितना महत्वपूर्ण है।
फोकस कीवर्ड: गिफ्ट डीड बनाम वसीयत, संपत्ति हस्तांतरण कानून, दानपत्र की वैधता
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SHRUTI MISHRA
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