भूमि अधिग्रहण मुआवजा पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: कलेक्टर गाइडलाइंस को मान्यता
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम के केस में “कटौती सिद्धांत” को खारिज करते हुए भूमि अधिग्रहण मुआवजा पर कलेक्टर गाइडलाइंस के आधार पर मुआवजे को वैध ठहराया। जानिए केस नंबर, पक्षकार और कानूनी प्रावधानों का विस्तार।
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भूमि अधिग्रहण मुआवजा
2025 में सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण मुआवजा से जुड़े एक अहम मामले में फैसला सुनाया। यह मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर-मंडला-चिलपी राष्ट्रीय राजमार्ग विस्तार परियोजना से जुड़ा था, जहां मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम (अपीलकर्ता) ने किसानों को दिए गए मुआवजे को अधिक बताकर चुनौती दी थी। कोर्ट ने “कटौती सिद्धांत” (Theory of Deduction) को खारिज करते हुए कलेक्टर गाइडलाइंस के आधार पर मुआवजे को वैध ठहराया।
केस का पृष्ठभूमि और पक्षकार
अपीलकर्ता: मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम
प्रतिवादी: विन्सेंट डैनियल और अन्य किसान
केस नंबर: सिविल अपील संख्या 3998/2024 (2025 INSC 408)
अधिनियम: भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापना अधिनियम, 2013
2014 में केंद्र सरकार ने जबलपुर-मंडला-चिलपी राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण की घोषणा की। कलेक्टर ने कलेक्टर गाइडलाइंस 2014-15 के आधार पर मुआवजे की गणना की, जिसे प्रतिवादियों ने न्यून बताकर हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने कलेक्टर के फैसले को बरकरार रखा, जिसके बाद निगम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुख्य बिंदु
कटौती सिद्धांत अमान्य: कोर्ट ने कहा कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत “कटौती सिद्धांत” (विकास लागत घटाना) लागू नहीं होता। पुराने 1894 के अधिनियम में यह सिद्धांत प्रासंगिक था, लेकिन नए कानून में धारा 26 के अनुसार कलेक्टर गाइडलाइंस और स्टांप ड्यूटी मूल्य प्राथमिक आधार हैं।
कलेक्टर गाइडलाइंस की प्रमुखता: कोर्ट ने माना कि गाइडलाइंस वैज्ञानिक और बाजार-आधारित हैं। इन्हें राज्य सरकार द्वारा विशेषज्ञ समितियों द्वारा तैयार किया जाता है, इसलिए इन्हें चुनौती नहीं दी जा सकती।
मुआवजे की गणना: प्रतिवादी की 0.650 हेक्टेयर भूमि के लिए 12,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर (आवासीय) और 1.5 करोड़ रुपये प्रति हेक्टेयर (कृषि) के हिसाब से मुआवजा वैध ठहराया गया।
निगम के तर्क और कोर्ट की प्रतिक्रिया
निगम का दावा था कि अविकसित भूमि के लिए मुआवजा बहुत अधिक था और इसमें सड़क, नाली आदि के लिए कटौती होनी चाहिए।
कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा: “कलेक्टर गाइडलाइंस राज्य द्वारा स्वीकृत हैं। यदि मूल्य अधिक है, तो सरकार को गाइडलाइंस संशोधित करनी चाहिए, न कि किसानों का मुआवजा कम करना चाहिए।”
केस से जुड़े महत्वपूर्ण सबक
गाइडलाइंस की पारदर्शिता: कोर्ट ने सुझाव दिया कि कलेक्टर गाइडलाइंस को सार्वजनिक किया जाए ताकि नागरिकों को पता चले कि भूमि मूल्य कैसे तय होते हैं।
विशेषज्ञ समिति का गठन: भूमि मूल्यांकन के लिए विशेषज्ञों वाली समितियां बनाई जाएं, जिसमें सरकारी अधिकारियों के साथ नागरिक प्रतिनिधि भी शामिल हों।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा दिया है। यह स्पष्ट कर दिया गया है कि नए कानून के तहत कलेक्टर गाइडलाइंस ही मुआवजे का प्रमुख आधार होंगे। हालांकि, राज्य सरकारों को चाहिए कि वे गाइडलाइंस को नियमित अपडेट करें ताकि वे बाजार के अनुरूप रहें।
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SHRUTI MISHRA
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