जबलपुर कोर्ट केस: अधिवक्ता छब्बीलाल कुशवाहा की दमदार दलीलें, आरोपी को मिली जमानत
जबलपुर: जबलपुर के विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट में एक अहम कानूनी मामला सामने आया, जहां अधिवक्ता छब्बीलाल कुशवाहा ने अपने मुवक्किल रोहित ठाकुर की जमानत को लेकर ठोस तर्क प्रस्तुत किए।
यह मामला अपराध क्रमांक 719/2024 का था, जिसमें थाना गढ़ा पुलिस ने बी.एन.एस.एस. की धारा 483 के तहत मामला दर्ज किया था। साथ ही एस.सी./एस.टी. एक्ट और पॉक्सो एक्ट की कई धाराओं के अंतर्गत आरोप लगाए गए थे।
🔹 मामला क्या है?
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोप लगाया गया कि आरोपी रोहित ठाकुर ने उसका पीछा किया, उसे परेशान किया और जान से मारने की धमकी दी। साथ ही अश्लील गालियां देने का भी आरोप लगाया गया था।
पुलिस द्वारा की गई जांच के आधार पर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद इस मामले पर बहस हुई।
🔹 अधिवक्ता छब्बीलाल कुशवाहा की दलीलें
आरोपी रोहित ठाकुर की ओर से अधिवक्ता छब्बीलाल कुशवाहा ने न्यायालय में मजबूत कानूनी तर्क प्रस्तुत किए, जिसमें उन्होंने कहा –
✔️ “आरोपी के विरुद्ध लगाए गए आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं। उसे दुर्भावना से फंसाया गया है।”
✔️ “न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत हो चुका है और आरोपी न्यायालय के समक्ष पूरी तरह सहयोग करने को तैयार है।”
✔️ “थाना गढ़ा पुलिस द्वारा उसे पहले ही अपराध में मुचलके पर रिहा कर दिया गया है, इसलिए उसकी नियमित जमानत स्वीकृत की जानी चाहिए।”
✔️ “प्रकरण का अंतिम निराकरण होने में लंबा समय लग सकता है, जबकि अपराध आजीवन कारावास या मृत्युदंड के दायरे में नहीं आता, इसलिए जमानत मिलना न्यायोचित है।”
🔹 अभियोजन पक्ष का विरोध
वहीं, विशेष लोक अभियोजक श्रीमती मनीषा दुबे ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि –
❌ अभियुक्त के खिलाफ गंभीर आरोप हैं।
❌ अगर उसे जमानत दी जाती है, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है।
❌ समाज में गलत संदेश जाएगा और पीड़िता को न्याय मिलने में बाधा आ सकती है।
🔹 न्यायालय का निर्णय – 40,000 की जमानत पर रिहाई
न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अधिवक्ता छब्बीलाल कुशवाहा की दलीलों को स्वीकार किया और आरोपी को सशर्त जमानत दे दी।
🔹 जमानत की शर्तें इस प्रकार हैं:
✅ अभियुक्त को 40,000 रुपये की प्रतिभूति और व्यक्तिगत बंधपत्र प्रस्तुत करना होगा।
✅ आरोपी न्यायालय की अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जा सकेगा।
✅ अपराध की पुनरावृत्ति नहीं करेगा और साक्ष्य को प्रभावित नहीं करेगा।
✅ न्यायालय के निर्धारित समय पर पेशी के लिए उपस्थित रहना अनिवार्य होगा।
🔹 न्यायालय की टिप्पणी
विशेष न्यायाधीश ने कहा कि आरोपों की गंभीरता के बावजूद, यह अपराध ऐसा नहीं है जिसमें आरोपी को लंबे समय तक जेल में रखना आवश्यक हो। इसके अलावा, साक्ष्यों से यह स्पष्ट नहीं हुआ कि अभियुक्त ने कोई अप्राकृतिक हिंसा की थी।
इसलिए, अभियुक्त को उचित शर्तों के साथ जमानत देना न्यायोचित होगा।
इस मामले में अधिवक्ता छब्बीलाल कुशवाहा की तर्कपूर्ण बहस और कानूनी पकड़ ने आरोपी रोहित ठाकुर को जमानत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। वहीं, न्यायालय ने भी निष्पक्ष न्याय का परिचय देते हुए उचित फैसला सुनाया।
अब इस मामले की अगली सुनवाई में यह तय होगा कि मुकदमा आगे किस दिशा में जाएगा और क्या आरोप सिद्ध हो पाएंगे।
Q: जमानत आदेश में क्या शर्तें रखी गईं?
👉 आरोपी को 40,000 रुपये की प्रतिभूति देनी होगी, अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ सकता, और साक्ष्य को प्रभावित नहीं करेगा।
Q: बीएनएसएस धारा 483 क्या है?
👉 यह धारा उन अपराधों से संबंधित है, जहां आरोपी की भूमिका स्पष्ट नहीं होती और न्यायालय जांच के आधार पर जमानत का निर्णय लेता है।
External Links :
✅ मध्यप्रदेश हाई कोर्ट वेबसाइट – mphc.gov.in
✅ भारत विधि पोर्टल (Bharat Laws) – indiankanoon.org
✅ राष्ट्रीय विधि पोर्टल (Law Ministry) – legalaffairs.gov.in
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