NDPS कानून के तहत हर्षित शर्मा की जमानत की अपील खारिज
परिचय सुप्रीम न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री वीरेंद्र सिंह द्वारा सुनाए गए इस निर्णय में, हर्षित शर्मा की जमानत की अपील खारिज कर दी गई है। मामला NDPS एक्ट के अंतर्गत दर्ज अपराधों से संबंधित है, जहाँ आरोपी पर टैक्सी में 1.03 किलोग्राम चारस होने का आरोप है। मामले की पृष्ठभूमि हर्षित शर्मा, 21 वर्षीय युवा,…
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परिचय
सुप्रीम न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री वीरेंद्र सिंह द्वारा सुनाए गए इस निर्णय में, हर्षित शर्मा की जमानत की अपील खारिज कर दी गई है। मामला NDPS एक्ट के अंतर्गत दर्ज अपराधों से संबंधित है, जहाँ आरोपी पर टैक्सी में 1.03 किलोग्राम चारस होने का आरोप है।
मामले की पृष्ठभूमि
हर्षित शर्मा, 21 वर्षीय युवा, जिनका रोज़गार टैक्सी चलाने से है, पर आरोप लगाया गया कि उनके द्वारा चलाए जा रहे टैक्सी से जब पुलिस ने जांच की, तो एक बैग में 1.03 किलोग्राम चारस बरामद हुआ। पुलिस के बयान के अनुसार, आरोपी ने ना केवल खुद भागने की कोशिश की, बल्कि अपने सह-अपराधियों को भी मौके का लाभ उठाने में सहायता की। आरोपी के खिलाफ NDPS एक्ट की धाराओं में दर्ज मामला है, जिसमें ‘वाणिज्यिक मात्रा’ में अवैध मादक पदार्थों के आरोप शामिल हैं।
- पुलिस ने आरोपी का नाम हरषित शर्मा बताया और दो अन्य यात्रियों में से एक, डिम्पी दाधवाल का भी जिक्र किया।
- अपराध की जांच में, चारस के साथ-साथ आरोपी के भागने के प्रयास पर भी ध्यान दिया गया।
- पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी को अब तक लगभग एक वर्ष से हिरासत में रखा गया है और जांच पूर्ण हो चुकी है।
कानूनी कार्यवाही और याचिका के तर्क
हर्षित शर्मा ने BNSS (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023) की धारा 483 के तहत जमानत की अपील दायर की थी। उनके द्वारा दायर याचिका में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए गए:
- उन्हें झूठे आरोपों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है।
- उनके खिलाफ कोई भी वास्तविक वसूली नहीं हुई है, और वे केवल टैक्सी चला कर अपना जीवन यापन करते हैं।
- उनकी उम्र कम होने और उनके बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के अभाव में उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।
- पहले भी इसी संबंध में समान अपीलें दायर की गई थीं, लेकिन विशेष न्यायाधीश द्वारा उन्हें खारिज कर दिया गया।
न्यायालय का विश्लेषण
सुप्रीम कोर्ट ने NDPS एक्ट की धारा 37 के कड़े प्रावधानों पर जोर दिया, जिसमें कहा गया है कि अगर आरोपी पर ‘वाणिज्यिक मात्रा’ में अवैध पदार्थों के आरोप हैं, तो जमानत देना अत्यंत कठिन होता है। कोर्ट ने यह पाया कि:
- NDPS एक्ट के तहत जमानत देने के लिए “reasonable grounds” (उचित आधार) की आवश्यकता होती है।
- उपलब्ध सबूत यह दर्शाते हैं कि आरोपी ने न केवल भागने का प्रयास किया, बल्कि अपने सह-अपराधियों की मदद भी की।
- अपराध के गंभीर स्वरूप को देखते हुए, और कानून में निर्धारित कड़े प्रावधानों के मद्देनजर, आरोपी को जमानत देना न्यायसंगत नहीं है।
निर्णय और आदेश
सुप्रीम न्यायालय ने हर्षित शर्मा की जमानत की अपील खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि NDPS एक्ट की धारा 37 के अनुसार, यदि आरोपी पर ‘वाणिज्यिक मात्रा’ में अवैध पदार्थों के आरोप हैं, तो जमानत देने की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने पुलिस के रिकॉर्ड और जांच के सबूतों पर भरोसा करते हुए, आरोपी के खिलाफ पर्याप्त तथ्य मौजूद होने का निर्णय सुनाया।
निष्कर्ष
यह निर्णय NDPS मामलों में जमानत देने के कड़े मानदंडों को पुनः स्थापित करता है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब कानून में निर्धारित शर्तें पूरी न हों, तो जमानत देना संभव नहीं होता। इस मामले में, हर्षित शर्मा के खिलाफ मौजूद सबूत और उनके द्वारा भागने की कोशिश ने उन्हें जमानत से वंचित कर दिया है।
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SHRUTI MISHRA
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