supreme court of india सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवाई : एक प्रेरणादायक न्यायिक यात्रा

न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवाई जन्म: 24 नवंबर 1960 (अमरावती)कार्यकाल: सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश (24 मई 2019 से)सेवानिवृत्ति तिथि: 23 नवंबर 2025 परिचय न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवाई की कहानी एक प्रेरणा है – अमरावती में जन्मे एक मध्यम वर्गीय परिवार से लेकर भारत के सुप्रीम कोर्ट तक का उनका सफर, जो कानून के प्रति उनकी अटूट…

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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश : एक प्रेरणादायक न्यायिक यात्रा

जानिए 10 फरवरी 1962 में हिसार, हरियाणा में जन्मे, सबसे युवा एडवोकेट जनरल और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की प्रेरणादायक कहानी। पढ़ें उनकी शिक्षा, पेशेवर उपलब्धियाँ, हिमाचल प्रदेश के चीफ जस्टिस पद से लेकर सुप्रीम कोर्ट में उच्च पद तक का सफर।

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न्यायमूर्ति संजीव खन्ना: भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश की न्यायिक यात्रा

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना जन्मतिथि: 14 मई 1960कार्यकाल: 18 जनवरी 2019 – 13 मई 2025पद: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 51वें मुख्य न्यायाधीश 🔹 न्यायमूर्ति संजीव खन्ना – भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश भारत के न्यायिक इतिहास में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का नाम एक प्रतिष्ठित और विद्वान न्यायाधीश के रूप में लिया जाता है। वे 18…

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जबलपुर कोर्ट केस: अधिवक्ता छब्बीलाल कुशवाहा की दमदार दलीलें, आरोपी को मिली जमानत

“जबलपुर कोर्ट में हुए चर्चित मामले में अधिवक्ता छब्बीलाल कुशवाहा की जोरदार दलीलों के बाद आरोपी रोहित ठाकुर को जमानत मिल गई। जानिए पूरा मामला, अभियोजन पक्ष की दलीलें और कोर्ट का फैसला।”

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मोटर दुर्घटना मुआवजा, सुप्रीम कोर्ट ने दिए 20.55 लाख रुपये मुआवजे: हाथ कटने वाले मजदूर को मिला इंसाफ

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: श्रमिक के 60% विकलांगता पर 20.55 लाख रुपये का मुआवजा मोटर दुर्घटना दावा मामले में न्यायिक प्रक्रिया और मुआवजे की पुनर्गणना का विस्तृत विश्लेषण परिचय 7 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने Civil Appeal No. 2209 of 2025 के तहत एक मील का पत्थर निर्णय सुनाया, जिसमें इंदौर के एक 25 वर्षीय मजदूर…

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सुप्रीम कोर्ट ने कोमा में जीवित व्यक्ति को 48.7 लाख रुपये का मुआवजा: मोटर दुर्घटना दावे का ऐतिहासिक निर्णय

परिचय 10 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने Civil Appeal No. 3066 of 2024 के तहत एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया, जिसमें राजस्थान के एक कोमा पीड़ित प्रकाश चंद शर्मा को 48.7 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। यह मामला न केवल 100% विकलांगता की गणना और चिकित्सा प्रमाणपत्रों के महत्व को उजागर करता है, बल्कि दीर्घकालिक न्यायिक देरी की समस्या पर भी प्रकाश डालता है।…

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भारतीय सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्यायसंगतता: अमृत यादव बनाम झारखंड राज्य केस का विश्लेषण

अमृत यादव केस ने यह सिद्ध किया कि “कानून का शासन” केवल एक सिद्धांत नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रक्रिया है। भविष्य में, तकनीक और जनभागीदारी से भर्ती प्रक्रियाओं को और न्यायसंगत बनाया जा सकता है।

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भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में अनुबंध की न्यायसंगतता: गोदरेज प्रोजेक्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड बनाम अनिल करलेकर केस का विश्लेषण

परिचय भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में बिल्डरों और गृह खरीदारों के बीच अनुबंध की शर्तें अक्सर विवाद का कारण बनती हैं। इनमें से एक प्रमुख मुद्दा है “अग्रिम राशि (Earnest Money) की जब्ती”। हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने गोदरेज प्रोजेक्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड बनाम अनिल करलेकर (2025 INSC 143) के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया, जिसमें बिल्डरों…

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भारतीय न्याय प्रणाली में डायिंग डिक्लेरेशन और साझा इरादे का महत्व: वसंत @ गिरीश बनाम कर्नाटक राज्य केस का विश्लेषण

परिचय भारतीय न्याय प्रणाली में डायिंग डिक्लेरेशन (मृत्युशय्या अभिकथन) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 34 (“साझा इरादा”) के प्रावधानों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये प्रावधान अक्सर गंभीर अपराधों, विशेषकर हत्या और दहेज हत्या के मामलों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वसंत @ गिरीश अकबरसाब सनावले और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य (2025 INSC 221)…

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बॉम्बे हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: नवी मुंबई प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया रद्द

जानें क्यों बॉम्बे हाईकोर्ट ने CIDCO द्वारा नवी मुंबई प्रोजेक्ट के लिए किए गए जमीन अधिग्रहण को अवैध घोषित किया। धारा 5A और 17 का उल्लंघन, किसानों के अधिकार, और भविष्य के प्रभावों पर विशेषज्ञ दृष्टिकोण।