आर्नब गोस्वामी का डोनाल्ड ट्रम्प पर वीडियो हटाया गया: किसके आदेश पर हुआ यह कदम?

आर्नब गोस्वामी डोनाल्ड ट्रम्प वीडियो हटाया | किसके आदेश पर हुआ यह कदम?

आर्नब गोस्वामी डोनाल्ड ट्रम्प वीडियो हटाया रिपब्लिक टीवी ने आर्नब गोस्वामी का डोनाल्ड ट्रम्प पर विवादित वीडियो क्यों हटाया? जानिए किसके दबाव में हुआ यह फैसला और मीडिया स्वतंत्रता पर सवाल।

मुंबई: रिपब्लिक टीवी के संपादक-इन-चीफ आर्नब गोस्वामी का एक वीडियो, जिसमें उन्होंने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को निशाना बनाया था, चैनल के ऑफिशियल हैंडल्स और वेबसाइट से हटा दिया गया है। इस वीडियो को ब्रॉडकास्ट रिप्ले से भी हटाए जाने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह आदेश किसने दिया?

संभावित कारण और जिम्मेदारी

  1. आर्नब गोस्वामी का स्वयं का निर्णय:
    रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के मैनेजिंग डायरेक्टर और एडिटर-इन-चीफ आर्नब गोस्वामी को चैनल की संपादकीय नीतियों पर पूर्ण नियंत्रण माना जाता है 1। पिछले मामलों में भी देखा गया है कि गोस्वामी विवादास्पद सामग्री को हटाने या संशोधित करने का निर्णय स्वयं लेते हैं। उदाहरण के लिए, 2017 में गुजरात दंगों पर उनके दावों को लेकर ट्विटर पर हुई आलोचना के बाद भी चैनल ने उनका समर्थन किया था ।

  2. राजनीतिक दबाव की आशंका:
    रिपब्लिक टीवी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हिंदुत्व एजेंडे के समर्थन के लिए जाना जाता है 110। विश्लेषकों का मानना है कि चैनल की सामग्री पर सरकार या पार्टी का अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकता है। 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान तब्लीगी जमात को निशाना बनाने वाले गोस्वामी के कार्यक्रमों ने भी सरकारी नैरेटिव को बढ़ावा दिया था ।

  3. कानूनी या सार्वजनिक दबाव:
    ट्रम्प पर टिप्पणी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया आने की आशंका भी इस कदम का कारण हो सकती है। 2020 में आर्नब के खिलाफ आत्महत्या के मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद भी चैनल ने उन्हें समर्थन दिया था, लेकिन इस बार अमेरिकी राजनीति से जुड़े मुद्दे पर सावधानी बरती गई होगी ।

  4. टीआरपी घोटाले का असर:
    2021 में टीआरपी घोटाले के दौरान आर्नब गोस्वामी और बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच व्हाट्सएप चैट्स लीक हुए थे, जिनमें रेटिंग्स में हेराफेरी के सबूत मिले थे 15। इससे चैनल की विश्वसनीयता पर सवाल उठे थे। हो सकता है, नए विवाद से बचने के लिए यह वीडियो हटाया गया हो।

विशेषज्ञों की राय

मीडिया विश्लेषक मनीषा पांडे के अनुसार, “रिपब्लिक टीवी की पत्रकारिता सरकारी एजेंडे को बढ़ावा देने वाली है। यहाँ संपादकीय निर्णयों में बाहरी हस्तक्षेप की गुंजाइश हमेशा रहती है” । वहीं, वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर कहा कि “आर्नब अक्सर अपने फैसलों को लेकर अड़े रहते हैं, लेकिन यह मामला उनकी सीमाओं को दिखाता है” ।

निष्कर्ष

इस घटना ने एक बार फिर मीडिया की स्वतंत्रता और उस पर राजनीतिक दबाव के सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, अभी तक रिपब्लिक टीवी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यह स्पष्ट है कि चैनल की पत्रकारिता का रुख उसके दर्शकों और आलोचकों दोनों को प्रभावित करता रहेगा।

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