सरकारी नौकरी में वरिष्ठता: स्वास्थ्य आधारित स्थानांतरण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
जानिए कैसे सुप्रीम कोर्ट ने “सरकारी नौकरी में वरिष्ठता” के मामले में निर्णय देते हुए कर्नाटक की एक कर्मचारी की वरिष्ठता तिथि को लेकर स्पष्टता दी। स्वास्थ्य आधारित स्थानांतरण और कानूनी नियमों पर पूरी जानकारी।
Share this:
- Click to share on WhatsApp (Opens in new window) WhatsApp
- Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
- Click to share on X (Opens in new window) X
- Click to share on Telegram (Opens in new window) Telegram
- Click to share on X (Opens in new window) X
- Click to print (Opens in new window) Print
केस का संक्षिप्त विवरण
1979 में, कर्नाटक सरकार में स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्त श्रीमती के.सी. देवकी को स्वास्थ्य कारणों (ब्रोंकाइटिस) के चलते 1985 में फर्स्ट डिवीजन असिस्टेंट के पद पर स्थानांतरित किया गया। स्थानांतरण के समय, देवकी ने लिखित सहमति दी कि नए पद में उनकी वरिष्ठता अंतिम कर्मचारी के बाद ही मानी जाएगी। हालांकि, 2007 में जारी वरिष्ठता सूची में उनकी गिनती 1989 (स्थानांतरण की तारीख) से की गई, जबकि देवकी ने दावा किया कि उनकी वरिष्ठता 1979 (प्रारंभिक नियुक्ति) से मानी जानी चाहिए। यह विवाद अंततः सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां सरकारी नौकरी में वरिष्ठता के नियमों की व्याख्या करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें
कर्नाटक सरकारी कर्मचारी वरिष्ठता नियम, 1957
कोर्ट ने नियम 6 को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट किया:
यदि स्थानांतरण सार्वजनिक हित में किया जाता है, तो कर्मचारी की वरिष्ठता पुराने पद के अनुसार मानी जाती है।
लेकिन, यदि स्थानांतरण कर्मचारी के निवेदन पर होता है, तो नए पद में उसकी वरिष्ठता स्थानांतरण तिथि से ही गिनी जाएगी।
देवकी का स्थानांतरण क्यों था खास?
देवकी का स्थानांतरण कर्नाटक सिविल सर्विसेज (जनरल रिक्रूटमेंट) नियम, 1977 के नियम 16(a)(iii) के तहत किया गया, जो शारीरिक अक्षमता वाले कर्मचारियों के लिए विशेष प्रावधान देता है।
कोर्ट ने माना कि देवकी ने स्वेच्छा से नए पद में जूनियर-मोस्ट स्थान स्वीकार किया था। इसलिए, वरिष्ठता 1989 से ही मान्य होगी।
फैसले का सरकारी कर्मचारियों पर प्रभाव
स्वास्थ्य आधारित स्थानांतरण की शर्तें
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य कारणों से स्थानांतरण कराने वाले कर्मचारियों को वरिष्ठता के मामले में स्पष्ट समझौता करना होगा।
नए पद में प्रवेश की तिथि ही वरिष्ठता का आधार होगी, भले ही पुराने पद में सेवा अवधि लंबी हो।
सार्वजनिक हित vs व्यक्तिगत निवेदन
कोर्ट ने सार्वजनिक हित और व्यक्तिगत निवेदन पर आधारित स्थानांतरण के बीच स्पष्ट रेखा खींची।
इस फैसले से सरकारी विभागों में वरिष्ठता विवाद कम होंगे और नियमों की पारदर्शिता बढ़ेगी।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने सरकारी नौकरी में वरिष्ठता से जुड़े भ्रम को दूर कर दिया है। यह स्पष्ट है कि यदि स्थानांतरण कर्मचारी के निवेदन पर होता है, तो उसे नए पद में वरिष्ठता के लिए अपनी पुरानी तिथि का दावा नहीं करना चाहिए। यह निर्णय सरकारी नियमों की मजबूती और कर्मचारियों के कर्तव्यों को रेखांकित करता है।
Author Profile

SHRUTI MISHRA
Share this:
- Click to share on WhatsApp (Opens in new window) WhatsApp
- Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
- Click to share on X (Opens in new window) X
- Click to share on Telegram (Opens in new window) Telegram
- Click to share on X (Opens in new window) X
- Click to print (Opens in new window) Print





