2025 में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय संपत्ति विवाद और सीमा अधिनियम पर नई रोशनी डालता है। जानें केस की पूरी कहानी, न्यायिक प्रक्रिया और इसके प्रभाव।

5 अहम बदलाव: पंजाब सरकारी नौकरियों में महिला आरक्षण नियम पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकारी नौकरियों में एससी स्पोर्ट्स श्रेणी के तहत महिला आरक्षण नियम को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जानें कैसे यह फैसला भर्ती प्रक्रिया और महिलाओं के अधिकारों को प्रभावित करेगा।

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Breaking news सहमति के आधार पर धारा 376 IPC मामले में FIR क्यों हुआ रद्द?

धारा 376 IPC मामले में सुप्रीम कोर्ट ने FIR रद्द करते हुए सहमति और कानूनी प्रक्रिया के महत्व पर जोर दिया। जानें मामले की पूरी जानकारी और न्यायिक प्रभाव।

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पत्नी की हत्या के आरोपी पति की बरीी पर फिर से सुनवाई का आदेश, हाईकोर्ट को दी नई गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के माध्यम से न्यायिक संवेदनशीलता और पारदर्शिता पर जोर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “अपील की अनुमति देने से इनकार करना केवल तभी उचित है जब ट्रायल कोर्ट का फैसला पूरी तरह तर्कसंगत हो।” मामले को हाईकोर्ट में पुनः सुनवाई के लिए भेजकर, सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार को न्याय की नई उम्मीद दी है।

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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी रद्द, लैंगिक संवेदनशीलता और न्यायिक समीक्षा पर जोर

PROBOTION सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के माध्यम से न्यायिक व्यवस्था में लैंगिक संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण को मजबूती दी है। न्यायमूर्ति नागरथ्ना ने कहा, “न्यायाधीशों का कार्य केवल कानूनी प्रावधानों को लागू करना नहीं, बल्कि समाज की नैतिक जिम्मेदारी भी उठाना है। महिला अधिकारियों के साथ होने वाले भेदभाव से न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचती है।”

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: मोटर दुर्घटना पीड़ितों को मिलेगा पूरा मुआवजा, “योगदानकारी लापरवाही” का आरोप गलत

जस्टिस करोल ने कहा, “मोटर वाहन अधिनियम एक कल्याणकारी कानून है। इसका उद्देश्य पीड़ितों को त्वरित और न्यायसंगत मुआवजा दिलाना है, न कि तकनीकी बहसों में उलझाना।” यह फैसला दुर्घटना पीड़ितों के अधिकारों की मिसाल बनेगा।

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: उपभोक्ता शिकायतों में “मियाद” (लिमिटेशन) पर रोक, निरंतर कार्रवाई के मामलों में समयसीमा लागू नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “तकनीकी कानूनी पेंच” उपभोक्ताओं के अधिकारों पर भारी नहीं पड़ सकते। इस फैसले से यह संदेश मिलता है कि न्यायपालिका आम आदमी के हितों को प्राथमिकता देती है। अब एनसीडीआरसी को मामले की सुनवाई कर 6 महीने में फैसला सुनाना होगा।