आयुष मंत्रालय का ऐतिहासिक फैसला: अब हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा ‘आयुर्वेद दिवस’
भारत सरकार ने अब हर साल 23 सितंबर को आयुर्वेद दिवस के रूप में घोषित किया है, जो शरद विषुव के दिन के साथ आयुर्वेदिक संतुलन का प्रतीक बनेगा। यह निर्णय आयुष मंत्रालय द्वारा वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।
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🪔 मुख्य बातें (Highlights):
आयुर्वेद दिवस अब हर वर्ष 23 सितंबर को मनाया जाएगा।
पहले यह दिन धनतेरस के दिन मनाया जाता था, जो हर साल बदलता है।
23 सितंबर को चुनने का कारण: यह दिन शरद विषुव (Autumnal Equinox) का दिन है — जब दिन और रात बराबर होते हैं।
यह निर्णय आयुष मंत्रालय द्वारा 23 मार्च 2025 को जारी अधिसूचना के माध्यम से घोषित किया गया।
🧘♂️ आयुर्वेद दिवस का महत्व
आयुर्वेद, भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर आधारित है। हर वर्ष यह दिन आयुर्वेद को वैज्ञानिक, प्रमाण-आधारित और समग्र (holistic) स्वास्थ्य पद्धति के रूप में बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
पहले यह दिवस धनतेरस के दिन मनाया जाता था, जो हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह में आता है। लेकिन यह तिथि हर साल बदलती रहती थी (कभी 15 अक्टूबर से लेकर 12 नवंबर के बीच), जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में अड़चनें आती थीं।
🔭 क्यों चुना गया 23 सितंबर?
23 सितंबर वह दिन है जब शरद विषुव (Autumnal Equinox) होता है। इस दिन दिन और रात की अवधि लगभग बराबर होती है।
यह प्राकृतिक संतुलन का प्रतीक है, जो आयुर्वेद के सिद्धांतों के पूरी तरह अनुरूप है।
यह निर्णय आयुष मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया।
📢 आयुष मंत्रालय की अपील
आयुष मंत्रालय ने सभी नागरिकों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों, शिक्षण संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से अपील की है कि वे 23 सितंबर को ‘आयुर्वेद दिवस’ के रूप में सक्रिय रूप से मनाएं। यह अवसर आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य दृष्टिकोण में शामिल करने का एक सुनहरा मौका है।
🌍 आयुर्वेद की वैश्विक भूमिका
आयुर्वेद न केवल भारत में, बल्कि अब पूरी दुनिया में एक वैज्ञानिक और वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त कर रहा है।
योग, प्राणायाम, आहार और जीवनशैली प्रबंधन इसके मुख्य अंग हैं, जो रोगों की रोकथाम में सहायक हैं।
✨ उद्देश्य (Objective)
आयुर्वेद के सार्वभौमिक सिद्धांतों को दुनिया भर में फैलाना।
‘रोगों से पहले रोकथाम’ (Preventive Healthcare) की भावना को मजबूत करना।
आयुर्वेद को स्थायी और सतत स्वास्थ्य समाधान के रूप में बढ़ावा देना।
📌 निष्कर्ष
23 सितंबर को मनाया जाने वाला आयुर्वेद दिवस, भारत की चिकित्सा परंपरा का सम्मान है और आयुर्वेद के वैश्विक मंच पर विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परिवर्तन निश्चित रूप से जन-जन तक आयुर्वेद को पहुंचाने में एक प्रभावी माध्यम बनेगा।
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भारत सरकार ने अब हर साल 23 सितंबर को आयुर्वेद दिवस के रूप में घोषित किया है, जो शरद विषुव के दिन के साथ आयुर्वेदिक संतुलन का प्रतीक बनेगा। यह निर्णय आयुष मंत्रालय द्वारा वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।
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🗓️ याद रखें: अब हर साल 23 सितंबर को मनाएं – संतुलन और स्वास्थ्य का पर्व – आयुर्वेद दिवस।
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SHRUTI MISHRA
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