केस संख्या: सिविल अपील संख्या 1972/2011
पीठ: न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुय्यान
तिथि: 7 मार्च, 2025
स्थान: नई दिल्ली


मामले का संक्षिप्त विवरण

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के नजफगढ़ रोड स्थित 2044.4 वर्ग गज की नाज़ुल भूमि (सरकारी भूमि) के स्वामित्व विवाद में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि एस.जी.जी. टावर्स प्राइवेट लिमिटेड को 2000 की नीलामी में केवल मूल पट्टाधारक एम/एस मेहता कंस्ट्रक्शन के अधिकार ही प्राप्त हुए हैं, जो स्वयं पूर्ण पट्टा प्राप्त करने में विफल रहा। DDA अभी भी संपत्ति पर कब्जा वापस लेने के लिए कानूनी कदम उठा सकती है।


पृष्ठभूमि: 66 साल पुराना पट्टा विवाद

  1. 1957 का समझौता: DDA (तत्कालीन दिल्ली इंप्रूवमेंट ट्रस्ट) ने एम/एस मेहता कंस्ट्रक्शन के साथ “पट्टा समझौता” किया, लेकिन क्लॉज 24 के अनुसार, पट्टा पंजीकृत न होने तक कोई अधिकार नहीं बना।

  2. 1972-1985 में हस्तांतरण: मेहता कंस्ट्रक्शन ने संपत्ति को एम/एस प्योर ड्रिंक्स प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया। 1985 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश से यह बिक्री पंजीकृत हुई।

  3. 2000 की नीलामी: प्योर ड्रिंक्स के दिवालिया होने पर, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने संपत्ति की नीलामी की, जिसे एस.जी.जी. टावर्स ने खरीदा। DDA ने इसका विरोध किया, लेकिन हाईकोर्ट ने नीलामी को वैध ठहराया।


सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  1. पट्टे की वैधता:

    • “1957 का समझौता केवल एग्रीमेंट टू लीज था, पंजीकृत पट्टा नहीं। इसलिए, मेहता कंस्ट्रक्शन को कोई कानूनी अधिकार नहीं मिला।”

    • न्यायमूर्ति ओका: “क्लॉज 24 स्पष्ट है—पट्टा पंजीकरण के बिना कोई स्वामित्व नहीं। यहाँ पंजीकरण कभी नहीं हुआ।”

  2. नीलामी की सीमा:

    • “एस.जी.जी. टावर्स ने नीलामी में केवल मेहता कंस्ट्रक्शन के अधूरे अधिकार खरीदे। यदि मेहता के पास स्वयं अधिकार नहीं थे, तो खरीदार को भी वैध दावा नहीं।”

    • न्यायमूर्ति भुय्यान: “नीलामी ‘जैसा है वैसा’ (as-is-where-is) आधार पर हुई। खरीदार को मूल पट्टाधारक की सीमाओं के भीतर ही अधिकार मिले।”

  3. DDA के लिए राहत:

    • “DDA संपत्ति का कब्जा वापस लेने या अनर्जित आय (unearned income) की वसूली के लिए अलग कानूनी कार्यवाही कर सकती है।”

    • कोर्ट ने स्पष्ट किया: “यह फैसला DDA के भविष्य के दावों को प्रभावित नहीं करता।”


निर्णय का व्यापक प्रभाव

  1. संपत्ति लेनदेन में सावधानी: पट्टा समझौतों में पंजीकरण की अनिवार्यता पर जोर।

  2. नीलामी खरीदारों के लिए चेतावनी: “जैसा है वैसा” नीलामी में खरीदारों को मूल स्वामी के दोष विरासत में मिलते हैं।

  3. DDA की भूमिका: नाज़ुल भूमि के प्रबंधन में नियमों का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता।